सोमवार, 17 जुलाई 2023

नैतिकता ,अनुशासन, लोकतंत्र

 यह सच है कि भारत में *स्थाई* होने के बाद *सरकारी अधिकारी/ कर्मचारी* का रवैया बदल जाता है! इसीलिये शायद आम जनता निजीकरण के खिलाफ आक्रोश नही जता रही! गोकि चीन, जापान,जर्मनी,फ्रांस से हम नई नई टैक्नालॉजी तो ला सकते हैं,किंतु नैतिकता या अनुशासन नही!

उन लोगों में नैतिकता,राष्ट्रवाद और देश के प्रति जिम्मेदारी का भाव कैसे आएगा जो केवल आरक्षण की वैशाखी ढूंढ़ते रहते हैं? उन लोगों में राष्ट्रवाद कैसे आएगा जो खानदानी बेरोजगार हैं,जो अच्छे नंबरों से पास होने के बावजूद,मेरिट होल्डर होने के बावजूद विदेश जाने को मजबूर हैं? इसी तरह उन लोगों से राष्ट्रवाद की आशा करना व्यर्थ है जो इस मुल्क को सिर्फ मजहब का चरागाह समझते हैं या हमेशा अपने कौमी अधिकारों की बात करते हैं।आरक्षण की बात करते हैं!
असली राष्ट्रवाद तो क्रांतिकारी और ऊँचे दर्जे के महामानवों में खुद के अंतस से ही स्वत:स्फूर्त हो सकता है!ऐंसा प्रतीत होता है कि सैकड़ों सालकी गुलामी ने कुछ भारतियों को स्थाई रूप से अनैतिक,स्वार्थी,लालची और अनुशासनविहीन बना डाला है!
विगत 2020,2021,20220 के कोरोना काल में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोरोना संकटकाल में कावड़ यात्रा मत निकालो,तब भी देश में कई जगहों पर श्रद्धालुजन इसकी धज्जियां उड़ाते रहे।महामारी में मरते रहे। यह लोकतंत्र जनित आजादी के माध्यम से की गई हाराकिरी है।
भारतीय लोकतंत्र की ढीलपोल का सबसे भयानक मंजर सरकारी क्षेत्र में सदाबहार मक्कारी और घूसखोरी में द्रष्टव्य है।यह सच है कि स्थाई होने के बाद सरकारी कर्मचारी या अधिकारी का रवैया बदल जाता है! वह अंग्रेजी साहिबों के अवतार में आ जाता है।नैतिकता, सत्यनिष्ठा,ईमानदारी को लतियाकर आजाद भारत का समाज कुछ इस तरह ढल गया हैकि
*काजल की कोठरी में कैसे भी सयानों जाय,एक रेखा काजल की लागिहै पै लागि हेै।*
भारत सरकार चीन और जापान से तकनीक तो ला सकती है,किंतु वहां की नैतिकता और अनुशासन कदापि नही! कुछ पाकिस्तान परस्त लोग भी चोरी छिपे भारतीय लोकतंत्र को चूहों की तरह कुतर रहे हैं।वे लोकतंत्र का मखौल उड़ा कर मजहबी इंतजामात करने पर आमादा रहते हैं! ये गद्दार लोग जब बदमासी करते पकड़े जाते हैं तो संविधान -संविधान रटने लगते हैं।
आजादी के 77 साल बाद ऐंसा आभासित हो रहा है कि भारतीय समाज को,भारतीय एकता के लिए लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत रास नही आ रहा है! सवाल उठता है कि भारत में असफल हो रहे पश्चिमी ढंग के लोकतंत्र का विकल्प क्या है?लगता है भारत को ताकतवर बनाने के लिये इंदिरा गांधी,माओ या स्टालिन जैसा नेतत्व ही सही है। श्रीराम तिवारी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें