इतिहास जो भुलाया नहीं जा सकता.....!!
भारत के गिने चुने लोगों को ही बांग्ला देश मुक्ति संग्राम और भारत की स्वर्णिम विजय के बारे में मालूम है! क्योंकि मध्यम वर्गीय आधुनिक युवा पीढ़ी को मोबाइल,कम्प्यूटर से फुरसत नही और बेरोजगारों की तो अपने लिये दो वक्त की रोजी रोटी जुटाने में ही जवानी खप गई,इतिहास क्या खाक पढ़ेंगे! अभी भी जी डी बख्शी जैसे मुखर रणबांकुरे जिंदा हैं,जो 1971 में हुई भारत विजय की यादों को संजोये हुए हैं!
वो साल था 1971 और महीना था नवंबर !
"अगर भारत पाकिस्तान के मामले में उसकी नाक में उंगली करेगा तो अमेरिका अपनी आंख नहीं फेर लेगा, भारत को सबक सिखाया जाएगा ।"
—रिचर्ड निक्सन (तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति)
"भारत अमेरिका को दोस्त मानता है, बॉस नहीं । भारत अपनी किस्मत खुद लिखने में सक्षम है, हम जानते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार प्रत्येक के साथ कैसे व्यवहार करना है?"
—श्रीमती इंदिरा गांधी (तत्कालीन प्रधानमंत्री, भारत)
भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ठीक यही शब्द व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के साथ बैठकर, उनकी आंखों से आंख मिलाकर बिना पलक झपकाए व्यक्त किये थे । (इस ब्योरे को अपनी आत्मकथा में अमेरिका के तत्कालीन NSA और सेक्रेटरी ऑफ स्टेट हेनरी किसिंजर ने दर्ज़ किया है)! वह दिन था, जब भारत-US संयुक्त मीडिया संबोधन को रद्द कर इंदिरा गांधी ने अपने ही अनोखे अंदाज में व्हाइट हाउस से चली गईं थी । किसिंजर ने इंदिरा गांधी को उनकी कार में छोड़ते हुए कहा था, "मैडम प्रधानमंत्री, आप को नहीं लगता है कि आप को राष्ट्रपति के साथ थोड़ा और धैर्य के साथ काम लेना चाहिए था ।"
इंदिरा गांधी ने उत्तर दिया, "धन्यवाद, श्रीमान सचिव, आपके बहुमूल्य सुझाव के लिए । एक विकासशील देश होने के नाते, हमारी रीढ़ सीधी है और सभी अत्याचारों से लड़ने के लिए पर्याप्त इच्छाशक्ति और संसाधन भी है । हम साबित करेंगे कि वे दिन लद गए जब हजारों मील दूर बैठी कोई शक्ति किसी भी राष्ट्र पर शासन कर सकती थी और अक्सर उसे नियंत्रित कर सकती है....।"
जैसे ही उनका एयर इंडिया बोइंग वापसी में दिल्ली के पालम रनवे पर उतरा, इंदिरा गांधी ने विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को तुरंत अपने आवास पर बुलाया । बंद दरवाजों के पीछे एक घंटे की चर्चा के बाद वाजपेयी जल्दी-जल्दी लौटते दिखे । इसके बाद यह ज्ञात हुआ कि वाजपेयी संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे ।
BBC के डोनाल्ड पॉल ने वाजपेयी से सवाल पूछा, "इंदिरा जी आपको एक कट्टर आलोचक के रूप में मानती हैं । इसके बावजूद, क्या आप को नहीं लगता कि आप संयुक्त राष्ट्र में बोलते हुए मौजूदा सरकार के रुख़ के पक्ष में होंगे?" वाजपेयी ने प्रतिक्रिया दी, "एक गुलाब एक बगीचे को सजाता है और बगीचे को सजाने का काम लिली भी करती है । सभी इस विचार से घिरे हुए हैं कि वे व्यक्तिगत रूप से सबसे सुंदर हैं । जब उद्यान संकट में पड़ता है, तो सभी को उसकी रक्षा करनी होती है । मैं आज बगीचे को बचाने आया हूंँ । जिसे दुनिया में भारतीय लोकतंत्र कहा जाता है।"
परिणामी इतिहास हम सभी जानते हैं । अमेरिका ने पाकिस्तान को 270 प्रसिद्ध पैटर्न टैंक भेजे । उन्होंने विश्व मीडिया को यह दिखाने के लिए बुलाया कि ये टैंक विशेष तकनीक के तहत बनाए गए थे और इस प्रकार अविनाशी हैं । इरादा बहुत साफ था । यह बाकी दुनिया के लिए एक चेतावनी संकेत था कि कोई भी भारत की मदद न करे । अमेरिका यहीं नहीं रुका, उसने भारत को तेल की आपूर्ति करने वाली एकमात्र अमेरिकी कंपनी बर्मा-शेल को बंद करने के लिए कहा । उन्हें अमेरिका द्वारा भारत के साथ अब और व्यापार बंद करने के लिए सख्ती से कहा गया था ।
उसके बाद भारत का इतिहास केवल गौरव और सम्मान का इतिहास है! इंदिरा गांधी की तीक्ष्ण कूटनीति ने सुनिश्चित किया कि तत्काल सोवियत संघ से संधि की जाए और न केवल तेल बल्कि हथियार भी सोवियत संघ से ही खरीदे जाएं!
सोवियत संघ ने पूरा साथ दिया संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के पक्ष में 15 दिनों के अंदर तीन बार वीटो लगाया!
72 घंटे तक चली प्रारंभिक लड़ाई में सोवियत टैंकों की मदद से भारती़य सेना के रणबाँकुरों ने अमेरिका के 270 पैटर्न टैंकों को नष्ट कर दिया ! नष्ट किए गए टैंकों को प्रदर्शन के लिए भारत लाया गया,जो प्रदर्शन के लिये राजस्थान के गर्म रेगिस्तान में आज भी गवाह के रूप में खड़े हैं !
इस युद्ध में न केवल पाकिस्तान खंडित हुआ ,न केवल बांगलादेश बना बल्कि अमेरिका का गौरव भी खंडित हुआ!अठारह दिनों तक चले युद्ध की परिणति, पाकिस्तान से 1 लाख युद्धबंदी बनाये गए ! बांग्ला देश के नायक शेख मुजीबुर रहमान लाहौर जेल से रिहा हुए ।
मार्च का महीना था,इंदिरा गांधी ने भारतीय संसद में बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी । वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को 'देवी दुर्गा' कहकर संबोधित किया....।
इन घटनाओं के नतीजे इस प्रकार है
भारत की अपनी तेल कंपनी अर्थात इंडियन ऑयल अस्तित्व में आया ।
भारत ने दुनिया की नजरों में खुद को ताकतवर राष्ट्र के रूप में सिद्ध किया ।
भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) का नेतृत्व किया और इसका नेतृत्व निर्विवाद था ।
~ हालांकि ये सारी घटनाएं लोग भूल गए हैं! किंतु स्वर्णिम इतिहास को झुटलाया नही जा सकता!उसे आगे वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने की जिम्मेदारी उनकी है जो सच्चे वतनपरस्त हैं!
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