गुरुवार, 13 जुलाई 2023

जो कोई मेहनत-मजदूरी से इंकार करे, वही काफिर है।

 प्रश्न: इस्लाम क्या है? काफिर कौन?

उत्तर :-एक बार नबीए करीम हुजूर स अ व हजरत मुहम्मद साहब ने अपने अनुयाइयों को हुक्म फरमाया कि ''खुदा के दीन में न कोई गनी है, न कोई मुंहताज है,न कोई शाह, बादशाह है,न कोई गुलाम है ,सभी उसके बंदे हैं और बराबर बंदगी का अखित्यार रखते हैं! आपने पुनः फरमाया ''बक्त-बक्त पर मुस्लिम अपना खलीफा मुकर्रर करेंगे!इमाम होंगे, वली होंगे,गौस और कुत्बों अब्दाल होंगे! ये सब मिल्लते इस्लाम के रहबरो पासबाँ होंगे! ये खुदा का दीन [मजहब] है और उसी ने हमें बख्शा है, वही उसकी परवर्दी भी करेगा!
उन्होंने फरमाया-जो कोई मेहनत-मजदूरी से इंकार करे,और जो उनके दीन की निंदा करे, वही काफिर है।
और नबी ए करीम स अ वसल्लम ने यह भी फरमाया है ''किसी मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी उसे मिल जानी चाहिए!" तालीमे-इस्लाम की असल तस्वीर यही है। कट्टरपंथियों ने जेहाद के नाम पर न केवल इंसानियत का क़त्ल किया है ,न केवल दुनिया में दहशतगर्दी को बढ़ावा दिया है, बल्कि वे हुजूर मुहम्मद साहिब की शान में गुस्ताखी के गुनहगार भी हैं,क्योंकि इन क्रूर जाहिल आतंकवादियों ने कभी भी मुहमम्द साहिब के बताए किसी एक भी सिद्धांत का पालन या आचरण ठीक से नहीं किया है!
भारत में इस्लाम के उसूलों का पालन कम और धर्मांधता अधिक है !इसी मजहबी धर्मांधता से अलगाववादियों और पत्थरबाजों को खाद पानी मिलता है!
-श्रीराम तिवारी !

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