रविवार, 27 सितंबर 2020

वामपंथी उम्मीदवार की जमानत जब्त क्यों होती है

ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय मंच पर जब जब किसानों मजदूरों के संयुक्त संघर्ष का आहवान होता है,तो संघर्ष में वामपंथी सबसे आगे होते हैं! किंतु जब मांग पूरी हो जाती है तो श्रेय कोई और ले उड़ता है!
जहां जहां अधिक जनांदोलन होते हैं, वहां उतनी ही बुरी तरह से वामपंथी उम्मीदवार की जमानत जब्त क्यों होती है? अभी कृषि बिल के विरोध में पंजाब,हरियाणा और यूपी बिहार में किसान आंदोलित हैं, किंतु मेरी भविष्यवाणी लिख कर रख ली जाए कि जहां जहां किसान आंदोलन हो रहा है वहां वहां वामपंथी उम्मीदवार की जमानत जब्त होगी! क्यों होती है
इसी तरह भारतके अधिकांस आंदोलनकारी मेहनतकश लोग दारू की एक बॉटल देने वाले दल या नेता को वोट देते हैं और अधिकांस कामकाजी महिलाएं एक -आध सस्ती साड़ी देने वाले नेता को वोट देकर भ्रस्ट दलों और नेताओं को जिता देते हैं!
चूंकि वामपंथी दलों के पास पैसा नही होता, पोलिंग बूथ पर बैठने को भाजपा की तरह भीड़ नही होती,कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों की तरह अल्पसंख्यकों की जमात का समर्थन नही मिलता अत: पंजाब, हरियाणा,यूपी,एम पी में वामपंथ का खाता भी नहीं खुल पाता! स्वार्थी क्षेत्रिय दलों और कांग्रसियों द्वारा हर बार वामपंथियों को अकेला मरने को छोड़ दिया जाता है!
चीन में संपन्न सांस्क्रतिक क्रांति के बावजूद वहाँ की अद्भुत और पुरातन 'चीन की दीवार' से लेकर खान-पान,सनातन परंपराएं,वेल्युज कला,साहित्य और संगीत तथा परिवार एवं समाज इत्यादि सब कुछ यथावत् सुरक्षित रखा गया है!चीन मैं हर पुरानी चीज को सर माथे लगाकर पहले से बेहतर बनानेके प्रयास जारी हैं!
किंतु भारत में संयुक्त परिवार तो पहले ही उजड़ गये,अब दामपत्य जीवन भी खतरे में है!पूर्वजों को याद करने और उनकी पुण्य स्म्रति मनाना भी जिन लोगों को पसंद नही,वे पत्नि द्वारा पति को और पति द्वारा पत्नि को सम्मान देंना भी प्रतिगामी समझते हैं! धन्य है भारत की प्रगतिशीलता! यहां हर उस शख्स को प्रगतिशील समझा जाता है,जो मानवीय मूल्यों और मर्यादाओं को ध्वस्त करने की बात करता है!

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