(जो कोरोना जनित लॉकडाऊन के कारण इधर उधर भागते हुऐ, रास्ते में भूंख प्यास से मर गये और कोरोना की चपेट में आकर जो असमय ही काल के ग्रास बन गये,जो मरीजों की सेवा करते हुए और देश की रक्षा के लिये सीमाओं पर शहीद हो गये,उन दिवंगतों को समर्पित एक जुदाई गीत : श्रीराम तिवारी ***
जरा दिल को तसल्ली दो,आरज सुनो मेरी।
रोको रवानी को,तुम्हें जल्दी भी क्या ऐंसी।।
लगी दिलकी बुझालें हम,तबतुम चले जाना।
गम अपना सुना दें हम,तब तुम चले जाना।।
चोट दिलमें लगी,प्रिय तुमसे बिछुड़ने की।
हरदम दिल में बसी,एक सूरत सलोनी सी।।
प्रीत अनमोल कैसी है,ये सब ने अब जाना।
गम अपना सुना दें हम,तब तुम चले जाना।।
इतना ही था मिलन,आई वेला जुदा होने ।
सब होश उड़े हैं मेरे,अंत मेरा खुदा जाने ।।
जरा होश में आ जाऊं ,तब तुम चले जाना।
गम अपना सुना दें हम,तब तुम चले जाना।।
मन हल्का तो होने दो, हम गम के मारे हैं।
हमको न भुला देना ,सदा हम तुम्हारे हैं।।
नफरतों के दौर में ,यारी को निभा जाना।
गम अपना सुना दें हम, तब तुम चले जाना।।
हमें गम जुदाई का,देकर के तुम चल दिए।
पलकों पै बिठाया था,वक्त ने छल किये।।
तुम बिन कैसे जियें, जरा ये तो बता जाना।
गम अपना सुना दें हम,तब तुम चले जाना।।
आदत पुरानी है ,हमें गमें चोट खाने की।
जबजब जागे नसीब,आये बेला रुलाने की।।
तुमने पीर पराई को,ना देखा सुना जाना।
गम अपना सुना दें हम, तब तुम चले जाना।।
सदा हम तुम्हारे थे, हमको न भुलाना तुम!
ग़मों को हमारे फिर,अपना ना बनाना तुम!!
दिल का जख्म भर दे, दवा ऐंसी दे जाना।
गम अपना सुना दें हम तब तुम चले जाना।।
जुदाई गीत -श्रीराम तिवारी (मेरी पुस्तक अनामिका से)
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