जातीय या साम्प्रदायिक आधार पर संगठित होने या एका कायम करने का फायदा सिर्फ उन्हें मिलता है जो समाज का नेतृत्व करते हैं! अथवा जो लोग राजनीति में आकर चुनाव लड़ते हैं! अंबेडकर,काशीराम,
चौधरी चरणसिंह,देवीला,लालू,मुलायम, मायावती,किरोडसिंह बैसला, विष्णुप्रसाद शुक्ला उर्फ बड़े भैया जैसे लोगों का इतिहास बताता है कि वे जिस समाज के नेता बनकर ताकतवर हुए हैं,उस समाज का उनने कितना भला किया? वास्तव में जात पांत के आधार पर संगठित होने का फायदा केवल पैसे वाले ताकतवर लोग ही उठाते हैं ! अपनी सत्ता बनाये रखने के लिये हर जात-धर्म-मजहब के नेता और अमीर लोग एक हो जाते हैं !अत: हर जात धर्म मजहब के गरीबों को इनके चंगुल से बचना चाहिए और जात पांत धर्म मजहब से ऊपर उठकर सर्वहारा की एकता कायम करना चाहिये!
श्रीराम तिवारी.
चौधरी चरणसिंह,देवीला,लालू,मुलायम, मायावती,किरोडसिंह बैसला, विष्णुप्रसाद शुक्ला उर्फ बड़े भैया जैसे लोगों का इतिहास बताता है कि वे जिस समाज के नेता बनकर ताकतवर हुए हैं,उस समाज का उनने कितना भला किया? वास्तव में जात पांत के आधार पर संगठित होने का फायदा केवल पैसे वाले ताकतवर लोग ही उठाते हैं ! अपनी सत्ता बनाये रखने के लिये हर जात-धर्म-मजहब के नेता और अमीर लोग एक हो जाते हैं !अत: हर जात धर्म मजहब के गरीबों को इनके चंगुल से बचना चाहिए और जात पांत धर्म मजहब से ऊपर उठकर सर्वहारा की एकता कायम करना चाहिये!
श्रीराम तिवारी.
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