पहली तिमाही की जीडीपी( -)23.9 प्रतिशत:- अंजाम 5 ट्रिलियन का क्या होगा?
आज जीडीपी के आंकड़े आए हैं। भारत की किसी भी पीढ़ी ने ये आंकड़े नहीं देखे होंगे। 5 अगस्त को नए भारत के उदय के बाद इन आंकड़ों ने रंग में भंग डाल दिया है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही की जीडीपी -23.9 प्रतिशत आई है।
सावधान हो जाएं। आर्थिक निर्णय सोच समझ कर लें। बल्कि अब यही ठीक रहेगा कि सुशांत सिंह राजपूत बनाम रिया चक्रवर्ती और कंगना बनाम संजय राऊत का ही कवरेज देखते रहिए। यह बर्बादी की ऐसी सतह है जहां से आप अब बेरोज़गारी के प्रश्नों पर विचार कर कुछ नहीं हासिल कर सकते। इसका मतलब है कि पढ़ने वाला और लिखने वाला दोनों में से कोई नहीं बचेगा!
साधु मरिहें जोगी मरिहें, मरिहें संत कबीर. साधो....
अर्थव्यवस्था के बारे में अभी तक झूठ बोला जा रहा है। जो है उसे नहीं बोला जा रहा है। जो होगा या जो नहीं होगा उसके बारे में अनर्गल बातें हो रही हैं कि आपके ज़िले में पेठा बनता है या पुड़िया बनती है! खाजा बनता है या खिलौना बनता है,उसके निर्यात से भारत आत्मनिर्भर बनेगा। कमाल है।
बड़े जोर शोर से कोरोना से लड़ाई का एलान हुआ। अब तक 64,500 से अधिक लोग मर गए। संक्र्मितों में नंबर दो से नंबर एक आने में ज्यादा वक्त नहीं! हम वो लड़ाई हार गए। देश को तमाम मुद्दों में भटकाया जाता रहा है! अर्थव्यवस्था की इस बदहालीमें नौजवान पीढ़ी और हम सभी किस हदतक बर्बाद होंगे कल्पना नहीं कर सकते हैं?
बेशक मोदी जी बिहार चुनाव की जीत के बाद वाहवाही में लग जाएंगे! उन्हें ऐसी वाह वाहियां बहुत मिली हैं,मगर नतीजा क्या रहा ? परिणाम यह रहा है कि नौजवानों के पास नौकरी काम धंधा नही बचा! जिनके पास नौकरी थी वो चली गई। जिनके पास है, वो जाने वाली है।
कभी रिया कभा कंगना के छुद्रतम विमर्श में देश की जनता को भरमाकर गोदी मीडिया लगातार मूर्ख बनाने में जुटा है! यह कोरोना संकटकाल है, राजनैतिक प्रहसन का खेल बंद हो जाना चाहिए।
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