सोमवार, 30 जुलाई 2018

  • राजनीति के मार्ग पर,निहित स्वार्थकी भीड़।
  • लोकतंत्र ने रच दिए , भ्रस्टाचार के नीड़ ।।
  • जात-पाँत की रैलियाँ,भाषण बोल कबोल ।
  • ...
  • वोट जुगाडू खेल के ,बजते नीरस ढोल ।।
  • सत्तापक्ष की मांद में,कोई नहीं गम्भीर।
  • झूंठ प्रवक्ता परोसते ,बातों के शमशीर।।
  • भारत के जनतंत्र को ,लगा भयानक रोग।
  • लोकतंत्र को खा गए ,घटिया शातिर लोग।।
  • नयी आर्थिक नीति ने, देश किया कंगाल।
  • काजू-किशमिश हो गयी ,देशी अरहरदाल।।
  • रुपया खाकर बैंक का ,माल्या हुआ फरार।
  • पक्ष विपक्ष में हो रही,फोकट की तकरार।।
  • अखिल विश्व बाजार में,रुपया है बदहाल।
  • मोदीजी के राज में,डालर है खुशहाल!!
  • अच्छे दिन किनके हुए,अफसरऔरदलाल।
  • मुठ्ठी भर धनवान भये ,बाकी सब कंगाल।।
  • जात-वर्ण आधार पर,आरक्षण की नीति।
  • बढ़ी बिकट असमानता ,पूंजीवाद से प्रीत।।
  • आवारा पूँजी कुटिल,व्याप रही चहुंओर।
  • इसीलिये भयमुक्त हैं,दुष्ट मुनाफाखोर।।
  • बढ़ते व्ययके बजटकी,कुविचारित यहनीति!
  • ऋण पर ऋण लेते रहो,गाओ ख़ुशीके गीत !!
  • रातों-रात सब हो गए ,राष्ट्र रत्न नीलाम।
  • औने -पौने बिक गए ,बीमा -टेलीकॉम।।
  • लोकतंत्र की पीठ पर,लदा माफिया आज ।
  • ऊपर से नीचे तलक,भृष्ट कमीशन राज ।।
  • वित्त निवेशकों के लिए ,तोड़ दिए तटबंध।
  • आनन-फानन कर चले,जनविरुद्ध अनुबंध !!
  • एनडीए के राज में ,भई भ्रुष्टन की भीर।
  • रामदेव अण्णा सहित,अब नही होत अधीर।।
  • श्रीराम तिवारी

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