- राजनीति के मार्ग पर,निहित स्वार्थकी भीड़।
- लोकतंत्र ने रच दिए , भ्रस्टाचार के नीड़ ।।
- जात-पाँत की रैलियाँ,भाषण बोल कबोल ।
- ...
- वोट जुगाडू खेल के ,बजते नीरस ढोल ।।
- सत्तापक्ष की मांद में,कोई नहीं गम्भीर।
- झूंठ प्रवक्ता परोसते ,बातों के शमशीर।।
- भारत के जनतंत्र को ,लगा भयानक रोग।
- लोकतंत्र को खा गए ,घटिया शातिर लोग।।
- नयी आर्थिक नीति ने, देश किया कंगाल।
- काजू-किशमिश हो गयी ,देशी अरहरदाल।।
- रुपया खाकर बैंक का ,माल्या हुआ फरार।
- पक्ष विपक्ष में हो रही,फोकट की तकरार।।
- अखिल विश्व बाजार में,रुपया है बदहाल।
- मोदीजी के राज में,डालर है खुशहाल!!
- अच्छे दिन किनके हुए,अफसरऔरदलाल।
- मुठ्ठी भर धनवान भये ,बाकी सब कंगाल।।
- जात-वर्ण आधार पर,आरक्षण की नीति।
- बढ़ी बिकट असमानता ,पूंजीवाद से प्रीत।।
- आवारा पूँजी कुटिल,व्याप रही चहुंओर।
- इसीलिये भयमुक्त हैं,दुष्ट मुनाफाखोर।।
- बढ़ते व्ययके बजटकी,कुविचारित यहनीति!
- ऋण पर ऋण लेते रहो,गाओ ख़ुशीके गीत !!
- रातों-रात सब हो गए ,राष्ट्र रत्न नीलाम।
- औने -पौने बिक गए ,बीमा -टेलीकॉम।।
- लोकतंत्र की पीठ पर,लदा माफिया आज ।
- ऊपर से नीचे तलक,भृष्ट कमीशन राज ।।
- वित्त निवेशकों के लिए ,तोड़ दिए तटबंध।
- आनन-फानन कर चले,जनविरुद्ध अनुबंध !!
- एनडीए के राज में ,भई भ्रुष्टन की भीर।
- रामदेव अण्णा सहित,अब नही होत अधीर।।
- श्रीराम तिवारी
सोमवार, 30 जुलाई 2018
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें