- ताजा खबर है कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की छठी अर्थव्यवस्था बन गई है!हमने फ्रांस को पीछे छोड दिया है और भारत एक पायदान ऊपर चढा है!बधाई!दरसल विकास के ये आंकडे, पूंजीवादी वित्तीय बाजीगरी के चोंचले हैं!वरना हकीकत जनताके सामने है!
- यह किसी से छिपा नही कि भारत की जनता और गरीब हो गई है!न सिर्फ जनता गरीब हो गई बल्कि निजी क्षेत्र के कई कारोबारी भी दिवालिया हो रहे हैं क्योंकि अंबानी,अडानी जैसे सत्ता समर्थित लोग भ्रस्ट पूंजी के खेल में छोटी मछलियों को लील रहे हैं !बाकई क्या यही विकास ...है ?
विश्व सूची में 6ठे नंबर पर हो जाना कोई आश्चर्य की बात नही ! वास्तव में भारत नंबर वन होने के काबिल है !क्योंकि यह तो एक सनातन से अमीर देश है !किंतु सैकडों सालों की गुलामी के कारण और पूंजीवादी लूट के कारण अब उधारी के बिना इस देश का काम नहीं चलता। आज जब मोदी जी के पास प्रचंड बहुमत है तो वे देशहित में कालाधन और बैनामी संपत्ति निरुद्ध क्यों नही कर देते?सम्पत्ति के हस्तनांतरण का क़ानून क्यों नही बना देते? यह सब करने के बजाय वे अमीरों के फिक्रमंद हो रहे हैं! एक तरफ देश में धनाढ्यों,बड़े जमींदारों ने बैंकों का अकूत कर्ज ले रखा है ,कुछ तो देश छोडकर भी भाग गये हैं !दूसरी ओर देश का निम्न मध्यम वर्ग और बुर्जुवावर्ग का पैसाभी वर्षों से बैंकों के पास डूबत खातों में (NPA)पडा हुआ है।
इसी तरह धर्मार्थ संस्थाओं में भी अपार धन सड रहा है! केरल के स्वामी पद्मनाभ मंदिर में ,तिरुपति बालाजी ,शिरडी साईँ ट्र्स्ट और तमाम बक्फबोर्ड धर्मादा संस्थानों और देश के अनेक धर्म स्थलों, मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों,गिरजाघरों और मठों में अकूत धन भरा पड़ा है। यदि इनसे राजसात में कोई अड़चन है, तो बिना ब्याज के रकम तो उधार मांगी ही जा सकती है। उपरोक्त स्त्रोत और संसाधनों से इतना धन जुट सकता है कि भारत को अमेरिका , इजरायल, जापान, जर्मनी या किसी अन्य देश से उधार नहीं मांगना पड़ेगा ! वामपंथ को भी इस संदर्भ में उचित मांग उठाकर जन आंदोलन खड़ा करना चाहिए।
शनिवार, 14 जुलाई 2018
पूंजीवादी वित्तीय बाजीगरी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें