- कहावत है "आधी छोड़ पूरी को धावै,आधी मिले न पूरी पावै" लगता है यह कहावत उन पाकिस्तानी राज नेताओं ने नही सुनी,जो बलूचों,पख्तूनों,मुहाजिरों,सिंधियों और वहां के मजूरों किसानोंकी बदहाली पर जुबान बंद किये हु़ये हैं ! काबिले गौर है कि पाकिस्तान का मौजूदा चुनाव कष्मीर के बहाने भारत और पीएम नरेंद्र मोदी के बरक्स लडा़ जा रहा है इसी तरह भारत में भी वर्तमान सत्ताधारी दलके नेताएक तरफ तो विकास के घनघोर बादलों की तरह गरजते हैं किंतु बरसने के बजाय वे पौराणिक गाथाओं के मिथकीय अंधराष्ट्रवाद को... उकसाते रहते हैं !उनकी मंतव्य है कि अतीत में इंडोनेशिया,से लेकर मध्यएसिया तक और सुदूर मंगोलिया से लेकर मलाया तक ,के विशाल भूभाग को 'अखण्ड भारत' माना जाता था।लेकिन सवाल सिर्फ अतीत के ख्वाब देखने का नही है !बल्कि सवाल उस हकीकत का भी है जो वर्तमान में मुंह बाये खडी़ है!वेशक तथाकथित खंडित 'भारत राष्ट्र' हमें सेंतमेंत में नही अपितु अनगिनत शहीदों की कुर्बानी की अकूत कींमत पर मिला है!किंतु यह तथा कथित खंडित राष्ट्र भी क्या कहीं से सुरक्षित है ? क्या यह खण्डित भारत बाकई निष्कंटक है ?और क्या यह विकास के या लोकतंत्र के सही रास्ते पर है?क्या इसका भविष्य बाकई गौरवशाली है?
श्रीराम तिवारी !
सोमवार, 23 जुलाई 2018
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