रविवार, 29 जुलाई 2018

  • सभी तरह के विचारों कि रचना दो अलग अलग दृष्टिकोणों से होती है,,आत्मवादी,subjective और वस्तुवादी,objective।पहले का परिणाम,,दुनिया को जैसा देखता हूं दुनिया वैसी ही है।दूसरे का परिणाम,,दुनिया जैसी है वैसी ही देखता हूं।पहले में देखने वाले की आंख की प्राथमिकता। दूसरे में वस्तु ,जिसे देखा जा रहा है उसकी प्राथमिकता। पहली अवैज्ञानिक,दूसरी वैज्ञानिक ।
  • जब कोई दृष्टा नहीं रहेगा सिर्फ दृश्य रहेगा ,तब भी द्वंद्व रहेगा !यदि द्वंद्व नहीं होगा तो गति नहीं होगी और यदि गति नहीं रहेगी तो द्रष्य भी नहीं रहेगा।दूसरी बात यह है कि एक दृष्टा नहीं रहेगा तब भी कोई न कोई तो रहेगा ही।प्रलय में सभी जीव समाप्त हो जाएं तो पुनः उसी द्रष्य से दृष्टा का सृजन होगा।द्वंद्व है तभी ब्रह्माण्ड है।
    वेदांत की बातें उनकी रचना काल के विज्ञान की स्तिथि के अनुरुप हो सकती है।आज के विज्ञान के नहीं।पीछे के विज्ञान में काफी विकास हो चुका है,और आगे भी होगा ।DrMahendra Pratap Singh

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