वर्तमान जातीय-मजहबी नेताओंके सियासी चोंचलोंसे सामाजिक बिखराव- साम्प्रदायिक विघटन चरम पर है! इसलिये भारतीय मध्य वित्त युवावर्ग में संघर्षकी जनवादी चेतना का कोईभाव नही है! इसलिये जब तक कोई सार्थक क्रांति नही हो जाती तब तलक यह मनमोहनीय 'यूटोपियाई पूँजीवाद'ही बेहतर है ! किंतु मोदीजी का 'गुजरात मॉडल'कदापि नही अपितु भारत के प्रख्यात हीरा व्यापारी सावजी ढोलकिया वाला पूंजीवाद ही ठीक है कि विगत वर्ष उन्होंने अपने कर्मचारियों को दीवाली पर तोहफे में फ्लेट और कारें दीं थी! इन्ही ढोलकिय...ाजी ने अपने एकलौते बेटे को अपने बलबूते पर आजीविका निर्वहन और हैसियत निर्माण का सुझाव दिया। 7 हजार करोड़ की सम्पदा के मालिक का बेटा विगत दो सालसे कोचीन में 8 हजार रुपया मासिक की प्रायवेट नौकरी कर रहा है। यह नौकरी हासिल करने के लिए भी उसे तकरीबन ६० बार झूँठ बोलना पड़ा। उसे कईदिन तक एक टाइम अधपेट भोजन पर रहना पड़ा,क्योंकि पिता ने उसे घरसे चलते वक्त जो ७०० रूपये दिएथे वे उसके पास अभी भी सुरक्षित हैं! और पिताजी ने यही आदेश दियाथा कीयह पैसा खर्च मत करना ! 'खुद स्वावलंबी बनो '! यदि सावजी ढोलकिया जैसे पूँजीपति देश के नेता या प्रधानमंत्री भी बन जायें तो भी,इतना बुरा नही होगा जोकि अभी हो रहा है! बल्कि उनके हाथों में यह देश ज्यादा सुरक्षित होगा ,और ज्यादा गतिशील और विकासमान हो सकता है ! श्रीराम तिवारी
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