सोमवार, 30 जुलाई 2018

अयोध्या का संछिप्त इतिहास!

  • यों तो अयोध्या के 'मंदिर-मस्जिद'विवाद पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है और इस विषय पर राजनीति भी खूब हो चुकी है!किंतु देश और दुनिया की आवाम को ततसंबंधी सचाई भी मालूम होनी चाहिये! यह सर्वविदित है कि प्राचीनकाल में इस उपमहाद्वीप का नाम-जम्बूदीप भरतखंड था!मध्य एसिया से आये 'आर्यों' ने सिंधु घाटी सभ्यता के समानांतर फल फूल रही स्थानीय द्रविड़ और आदिम सभ्यता को नेस्तनाबूद कर इस भूमि पर नई सभ्यता का निर्माण किया!नव आगंतुक आर्यों ने पंचनद प्रदेश गांधार, प्राग्यज...्योतिषपुर,केकेय,कुरू -पांचाल सेभी आगे बढ़कर हस्तिनापुर,मथुरा,मगध,अंगबंग कलिंग,ताम्रलिप्ति, काशी,कौशल, राजग्रही और अयोध्या नगर बसाये!और बहुत काल बाद अयोध्या में जा बसे इन्ही आर्यों की एक शाखा इक्षुवाकु वंश कहलाई जिसमें अनेक महाप्रतापी राजा हुए!सत्यनिष्ठदानवीर राजा हरिष्चंद्र ,गुरू भक्त राजा रघु और मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम इसी वंश में हुये थे!वैष्णव परंपरा ने राम को विष्णु का अवतार मानकर पूरे भारतीय महाद्वीप में राम मंदिर बनाये!उनके हजारों साल बाद भारत में जब ईसा पूर्व 500 के आसपास आर्यों की बौद्ध और जैन परंपरा फली फूली तो अयोध्या उनके कब्जे में चली गई!चूंकि बौद्ध और जैन राजा वैष्णव और वैदिक परंपरा से बैर रखते थे इसलिये उन्होंने उन्होने 'श्रीराम'के स्मारक और मंदिर ध्वस्त कर बौद्ध और जैन मंदिर बना दिये!कालांतर में जब बौद्ध राजा कमजोर हुये तो ब्रह्दरथ को हराकर पुष्यमित्र शुंग मगध का राजा बना !उसने और उसके पुत्र अग्निमित्र शुंग ने और उज्जैन अवंतिका के महाप्रतापी वीर विक्रमादित्य ने अयोध्या में पुन: वैष्णव परंपरा स्थापित की और मंदिर बनवाये.16 वीं सदी के आसपास जब मुगल बाबर ने पश्चिमी भारतपर हमला किया,तो उसके एक सेनापति मीरबाकी ने अयोध्या को बुरी तरह लूटा और बगदाद के खलीफा को खुश करने के लिये उसने सैकड़ों हजारों हिंदुओं को मार डाला! सारे मंदिर धंवस्त कर दियेगये!उसी जगह पर मस्जिदें बना डालीं! जाहिर है की तथाकथित 'रामजन्म भूमि' पर हमलावर का जबरिया कब्जा हो गया! किंतु यह किसी भी तरह से मालिकाना हक नही हो जाता!जमीन पर हमलावरों का मालिकाना हक वैसे ही नही माना जा सकता जैसे डाकूओं द्वारा पराया माल लूटने पर उनका वैधानिक हक नही हो जाता!
    चालाक धूर्त अंग्रेजों ने भी हिंदु-मुस्लिम बैर बढ़ाने के लिये अयोध्या में हिंदुओं को पूजा पाठ का हक तो दिलाया,किंतु विवाद खत्म नही किया!आजादी मिलने के दरम्यान जब धर्म के आधार पर भारत पाकिस्तान-दो देश बने तो पाकिस्तान की देखा देखी भारत के कुछ आस्थावान हिंदु भी काशी,मथुरा और अयोध्यामें हिंदु धर्मस्थल वापिस मांगने लगे!वैसे अयोध्या में 'रामजन्म'की जगह खड़े ढांचे की जगह 'रामलला' मंदिर के लिये जगह मांगना गलत नही था,किंतु उसके लिये वोटों की राजनीति नितांत गलत है!समय के उल्टे चक्र की तरह बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के इशारे पर उस खंडहर में नमाज पढ़ी जाने लगी!उसी का परिणाम है कि विगत 26 दिसंबर 1992 में हजारों हिंदु कार सेवकों ने अयोध्या का तथाकथित ढांचा गिरा दिया! प्रतिक्रिया स्वरूप गोधरा कांड हुआ !और मुंबई बम बिस्फोट कांड हुये!उसी की बदौलत मोदी सरकार सत्ता में आई!बहरहाल अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, अयोध्या में रामजन्म भूमि का सच्चा और संछिप्त इतिहास यही है!
  • श्रीराम तिवारी

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