" बुर्जुआ वर्ग ने हर पेशे [उध्यम ] को जो अब तक सम्मानित था और आदर मिश्रित भय से देखा जाता था ,उसे उसकी सहज महिमा से वंचित कर दिया है। बुर्जुआ वर्ग ने चिकित्सकों ,वकीलों ,पुरोहितों ,कवियों और वैज्ञानिकों को अपना वेतनभोगी मजदूर बना लिया है "
_ कार्ल मार्क्स [कम्युनिस्ट घोषणा पत्र ]
वर्तमान दौर की युवा पीढ़ी को बिन मांगे एक नेक सलाह है कि यदि वे आधुनिकतम टेक्नॉलॉजी में माहिर हैं, यदि वे कम्यूटर सहित तमाम उन्नत तकनीकी में दक्ष हैं ,यदि वे एमबीबीएस , एलएलबी ,एमकॉम , एमबीए,एमसीए,बीई ,बीटेक जैसी डिग्रीके धारक हैं ,यदि वे दर्शन ,इतिहास और भूगर्भ विज्ञान में निष्णात हैं , यदि वे अपनी आजीविकोपार्जन के लिए मजबूरन निजी क्षेत्र के मालिकों के समक्ष नत मष्तक हैं,यदि वे बुजदिल और कायर नहीं हैं ,यदि वे आपराधिक मानसिकता के नहीं हैं ,यदि वे भृष्ट नहीं हैं , यदि वे सरदार भगतसिंह और स्वामी विवेकानंद का आदर करते हैं तो उन्हें चाहिए कि वे थोड़ा सा समय निकालकर कम्युनिस्ट घोषणा पत्र अवश्य पढ़ें ।
-श्रीराम तिवारी
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