शनिवार, 9 मई 2015

मुँह देखकर तिलक लगाना ही तो इस व्यवस्था का दस्तूर है !


    धन याने रूपये -पैसे की महिमा का बखान- केवल चाणक्य,एडम स्मिथ ,मैक्स बेबर  और कीन्स इत्यादि अर्थशास्त्री  ऐसे  ही नहीं कर गए।  उनके सिद्धांत और विचारधारा भले ही पैसे वालों का ही पक्षपोषण करते हों किन्तु उनकी स्थापनाएं तो आज भी मानव समाज के सर पर चढ़कर  अठ्ठहास  कर रहीं हों। फिल्म एक्टर  सलमान खान के 'हिट एंड रन'केस पर जिन्होंने विहंगम दृष्टिपात किया होगा उनको तो आइन्दा 'पैसे पर पूरा भरोसा' कायम रहेगा ।कुछ लोगों का कहना है कि  यदि सलमान को जमानत नहीं मिलती तो उनका पैसे पर से विश्वास उठ जाता। पूंजीवादी कल्चर का यही  तात्विक गुण है कि  "बाप -बड़ा न  भैया -सबसे बड़ा रुपैया।।" 
                                  चूँकि आस्तिक किस्म  के  धर्मप्राण तथा अंधश्रद्धालु मानव का भगवान -गॉड -अल्लाह - यहोबा या किसी  ख़ास मजहब के  गुरु घंटाल - इष्टदेव  पर परिश्थिति के अनुसार विश्वास व्  भरोसा  नित्य परिवर्तनशील हुआ करता है।मुझे भगवान या ईश्वर  में  तो बहुत  कम आश्था रही है  किन्तु उनके एक परम  भक्त कवि गोस्वामी तुलसीदास की इस अवधारणा  पर पूरा विश्वास  है कि -;

  "कोउ  न काउ सुख कर दाता।  निजकृत करम  भोग सब  भ्राता।।  [रामचरितमानस ]


अर्थात भगवान पर भरोसा करो या न करो अपने-अपने कर्मों का अच्छा -बुरा परिणाम  तो  प्राणिमात्र को स्वयं ही भोगना होगा।लेकिन जब कभी किसी खास 'दवंग' अपराधी को इस सिद्धांत से मुक्त देखता हूँ ,रुपया -शोहरत  या आस्पद की ताकत से क़ानून को धता बताते हुए देखता हूँ तो बरबस ही  मुझे  न्याय प्रियता के  प्रवंचकों से सहमत होना ही पड़ता है।  जो कहते हैं कि   'पैसा बोलता है "।

 शहीद  भगतसिंह ,लेनिन ,कार्लमार्क्स , हो -चीं- मिन्ह , आंबेडकर , बीटीआर ,ईएमएस ,गोपालन ,ज्योति वसु सहित  दुनिया के तमाम साम्यवादी  चिंतकों ने शिद्द्त से प्रतिपादित किया है कि राष्ट्र या  समाज में जब तक आर्थिक ,सामाजिक या  राजनैतिक असमानता है तब तक न्याय शक्तिशाली व्यक्ति  का ही  पक्षधर रहेगा।  पूंजीवादी समाज में जहाँ एक ओर  धन दौलत के पहाड़  खड़े हो गए  हैं वहीँ दूसरी ओर  कंगाली और निर्धनता की खाईंयां भी गहरी हो गयीं  हैं।  'हिट एंड रन' घटना के शिकार  जिन  निर्धन सर्वहाराओं को सलमान की कार से कुचलकर मार दिया गया ,जिनके  बारे में   पूंजीवादी व्यवस्था से संचालित न्याय  के मंदिर में एक आह तक नहीं सुनी  गयी वे वास्तव में अभागे ही हैं। व्यवस्था से निराश ,ईश्वर से निराश ,न्याय मंदिर से निराश , चौतरफा विपत्ति के मारे ,एक दारूखोर और पैसे वाले एक्टर  की लापरवाही के शिकार, ये अभागे  यदि कहीं  अपराधी बन जाएँ तो इसमें तो किसी को  कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए । इसकी महती  जिम्मेदारी न्याय पालिका की होगी। जिसने  सावित किया है कि मुँह  देखकर तिलक  लगाना ही  तो इस  व्यवस्था का दस्तूर है !
                                  
 वेशक सलमान के वकीलों की सूझबूझ  से , सलमान की  पारिवारिक -सामाजिक हैसियत  के प्रभाव से  मुंबई हाई  कोर्ट ने सलामन खान को एक घंटे के लिए  भी जेल नहीं जाने दिया । सलमान की तुरंत  जमानत  के लिए पैसे  की महिमा से कोई इंकार नहीं कर सकता। धन की ताकत से ही जमानत की  पूर्व पटकथा तैयार थी।  सैशन कोर्ट में उसके  खालिस  अपराधी होने के वावजूद इन वक्त पर बिजली गुल होना ,केस की  सर्टिफाईड कापी न मिलना और उधर तत्काल हाई कोर्ट में जमानत की अर्जी स्वीकृत होना ये तमाम चीजे देश और दुनिया में लम्बे समय तक बहस का मुद्दा रहेंगी।  यदि सलमान खान को सजा मिलने के ही दिन सम्मान अपने घर जाना नसीब हुआ तो यह  विचारणीय है कि और  ताकतवर लोगों को जेल जाने पर पैसा शक्तिशाली साबित क्यों नहीं हुआ ?  बिना जेल गए घर जाने का  सौभाग्य ,संजय दत्त ,अबु सालेम , जय ललिता ,येदुरपा ,लालू यादव , पप्पू यादव  को क्यों नहीं दिया गया। आज भी  सुब्रतो राय सहारा ,आसाराम एंड संस   जैसे ऐयास लक्ष्मीपति  करोड़ों नहीं अरबों रुपया फूंकने के बाद भी जेल के सींकचों में ही फड़फड़ा रहे हैं. क्यों ? कहावत है  कि  पैसा सब कुछ नहीं होता लेकिन पैसा बहुत कुछ होता है।  पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता जूदेव ने क्या कहा था ?  पैसा  भगवान तो नहीं लेकिन पैसा भगवान से कम भी नहीं !
                 
  सलामन  'हिट एंड रन '  के शिकार हतभाग्य लोग आज भी मुआवजे के लिए तरस रहे हैं। इतना  ही नहीं देश की जेलों में भी ऐंसे  लाखों लोग  हैं जो कई सालों से  बिना अपराध सिद्ध हुए ही पैसे के अभाव में सड़ रहे हैं।  कुछ तो   मामूली से अपराध में ही और  कुछ  तो निरपराध ही हैं जो जमानत के आभाव में जेल भोग रहे हैं। क्या केंद्र  की  वर्तमान मोदी सरकार इस तरफ अपना ध्यान देगी ?क्या मुंबई हाई  कोर्ट जैसी  सजग  न्यायिक सक्रियता   देश के  गरीबों -मजलूमों को भी प्राप्त होगी ?   देश की वह जमात और  तरुणाई  जो सलमान के लिए नाटकीय   सौजन्यता दिखा रही थी क्या वह अपनी थोड़ी सी  सदाशयता  उन शोषित -पीड़ित और जेल भोग रहे  बेकसूरों के आंसू पोंछने के लिए भी  दिखाएगी ?

                                                   श्रीराम तिवारी 
             

                     

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