भारत भूमि पर ऐंसे करोड़ों नर-नारी हैं जो खानदानी 'देशभक्त' हैं,जिनके पुरखों ने देश के लिए कुर्बानियाँ दीं। किन्तु वे किसी खास नेता या मंत्री के चमचे या अंधभक्त नहीं हैं। ऐसे वतनपरस्त लोग भी देश की खातिर बैंकों के सामने कतार में खड़े हैं। यदि रूपये नहीं भी मिले या ATM में रूपये खत्म हो जाते हैं तो वे भी धैर्य नहीं खोते। क्योंकि वे ''अच्छे दिनों के 'जुमलों' पर विश्वास किये जा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि बैंक की कतार में तो क्या हम तो देश की सीमाओं पर दुश्मनके टैंकों के सामने लड़ते हुए शहीद हो जाने को भी तैयार हैं। इनमें से लगभग एक सैकड़ा के करीब तो कतार में खड़े-खड़े ही 'शहीद' हो चुके हैं !लेकिन बिडम्बना यह है कि ''हम आह भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम ,वे कत्ल करते हैं तो चर्चा भी नहीं होती !'' इस विमुद्रीकरण की असफलता पर भी वेशर्म लोग विपक्ष को बदनाम करने की राजनीति कर रहे हैं !
विमुद्रीकरण की असफलता का एक प्रमुख कारण यह है कि 'राज्य सत्ता' की तुगलकशाही के सामने निरीह आम जनता तो घुटने टेकने को तैयार है ,किन्तु कालेधन वाला शातिर बदमास पूँजीपति वर्ग मोदीजी को चिड़ा रहा है।मोदी जी को जाने किसने ज्ञान दे दिया कि 'नोटबंदी' से कालधन सरकारी खजाने में आ जाएगा ?जिनके पास कालाधन है वे नोटबंदी का विरोध बिलकुल नहीं कर रहे, बल्कि वे तो काले को सफेद करने में जुटे हैं।
जब इनकम टैक्स,ईडी और केंद्र सरकार को मालूम है कि कालाधन किस-किसके पास है और छापे में भारी रकम पकड़ी भी जा रही है तो जिम्मेदार तत्वों को गिरफ्तार करके उनका 'राजनैतिक 'डीएनए' घोषित क्यों नहीं किया जाता ? देशकी जनता को भी मालूम होना चाहिए कि आखिर हो क्या रहा है ? और गुनहगार कौन है ? जो लोग लाखों-करोड़ों नए -पुराने नोट बोरे में भर-भरभरकर इधर-उधर कर रहे हैं या बैंकों तक पहुँचने ही नहीं दे रहे हैं, वे आखिर किस 'वर्ग विशेष' के हैं ?और किस की शह पर बेख़ौफ़ नए -पुराने नोट 'हवाला'के हवाले किये जा रहे हैं ?वे किस राजनैतिक पार्टी से नाता रखते हैं? बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जिनके पास कालाधन है ,उन्हें तो कोई हाथ भी नहीं लगा रहा ! उलटे ये निर्लज्ज अहमक शासक उस निर्धन जनता को ''कैशलेश स्कीम समझा रहे हैं जो आलरेडी 'कैशलेश' है !' जिन्हें गरीबी,निर्धनता बेकारी और छटनी की मुसीबत ने घेर रखा है वे अभागे क्या जाने कि @narendrmodi या एटीएम/पैटीएम किस चिड़िया का नाम है ? वे तो शायद यह भी नहीं जानते कि इस 'दईमारी' नोटबंदी के वास्तविक निहतार्थ याने प्रयोजन क्या हैं ?
विमुद्रीकरण की असफलता का एक प्रमुख कारण यह है कि 'राज्य सत्ता' की तुगलकशाही के सामने निरीह आम जनता तो घुटने टेकने को तैयार है ,किन्तु कालेधन वाला शातिर बदमास पूँजीपति वर्ग मोदीजी को चिड़ा रहा है।मोदी जी को जाने किसने ज्ञान दे दिया कि 'नोटबंदी' से कालधन सरकारी खजाने में आ जाएगा ?जिनके पास कालाधन है वे नोटबंदी का विरोध बिलकुल नहीं कर रहे, बल्कि वे तो काले को सफेद करने में जुटे हैं।
जब इनकम टैक्स,ईडी और केंद्र सरकार को मालूम है कि कालाधन किस-किसके पास है और छापे में भारी रकम पकड़ी भी जा रही है तो जिम्मेदार तत्वों को गिरफ्तार करके उनका 'राजनैतिक 'डीएनए' घोषित क्यों नहीं किया जाता ? देशकी जनता को भी मालूम होना चाहिए कि आखिर हो क्या रहा है ? और गुनहगार कौन है ? जो लोग लाखों-करोड़ों नए -पुराने नोट बोरे में भर-भरभरकर इधर-उधर कर रहे हैं या बैंकों तक पहुँचने ही नहीं दे रहे हैं, वे आखिर किस 'वर्ग विशेष' के हैं ?और किस की शह पर बेख़ौफ़ नए -पुराने नोट 'हवाला'के हवाले किये जा रहे हैं ?वे किस राजनैतिक पार्टी से नाता रखते हैं? बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जिनके पास कालाधन है ,उन्हें तो कोई हाथ भी नहीं लगा रहा ! उलटे ये निर्लज्ज अहमक शासक उस निर्धन जनता को ''कैशलेश स्कीम समझा रहे हैं जो आलरेडी 'कैशलेश' है !' जिन्हें गरीबी,निर्धनता बेकारी और छटनी की मुसीबत ने घेर रखा है वे अभागे क्या जाने कि @narendrmodi या एटीएम/पैटीएम किस चिड़िया का नाम है ? वे तो शायद यह भी नहीं जानते कि इस 'दईमारी' नोटबंदी के वास्तविक निहतार्थ याने प्रयोजन क्या हैं ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें