मंगलवार, 11 अक्टूबर 2016

सावधान रक्तबीज अभी भी जिन्दा है !

विगत वर्ष जब पाक प्रशिक्षित आतंकियों ने पठानकोट आर्मीवेस पर आक्रमण किया था  तब 'हमारे' रक्षामंत्री श्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि यह ''आखरी चूक होगी ,आइंदा हमारी अनुमति के बिना परिन्दा भी हमारी सीमा में प्रवेश नहीं कर सकेगा !''अभी -अभी की ताजा खबर है कि जम्मू कश्मीर के पम्पोर की ईडीआई बिल्डिंग में एक दर्जन से अधिक पाकिस्तानी आतंकी छिपकर  गोली बारी कर रहे हैं। जब आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक सफल हो गया और उस सफलता का रावण जल रहे हैं तो यह 'रक्तबीज' कहाँ से पैदा हो गया ? इसलिए हे भारत वासियो -सावधान रक्तबीज अभी भी जिन्दा है !

  १६-१७ सितम्बर की दरम्यानी रातको पाकिस्तानी फ़ौज की 'आतंकी' टुकड़ी ने जब कश्मीर के उड़ी सेक्टर में भारत के १८ जवानों को आर्मी वेस में सोते हुए मार डाला , तब भारत के सत्तारूढ़ नेताओंको और फ़ौजको बहुत शर्मिंदगी उठानी पड़ीथी । उन्हें भारतीय मीडिया और जनता ने बहुत धिक्कारा था !कुछ सरकार विरोधियों ने भी पाकिस्तान प्रेरित आतंकवादकी निंदा करनेके बजाय अपने ही सैन्यबलों के सामर्थ्य पर सवाल खड़े कर दिए थे। कुछ स्वयम्भू देशभक्तों और सरकार समर्थकों ने  भी इस कदर बेहद बेहयाई दिखाई की जगह-जगह 'आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक ' के पोस्टर लगा दिए, जबकि उस कार्यवाही के बारे में अभी तक हमारी सरकार ने तत्सम्बन्धी तथ्य उजगार  करने का फैसला ही नहीं लिया है।

लखनऊ में रामलीला मैदान के बाहर जो पोस्टर लगे हैं ,उनमें लिखा है की ''उड़ी का बदला लेने वाले महाबली का हार्दिक स्वागत है '' जिनका स्वागत किया  उनमें पीएम हैं ,भाजपा के नेता हैं ,किन्तु फ़ौज का नाम कहीं भी नहीं है। जबकि हमारी  फ़ौज इस वक्त पंपोर में आतंकवादियों से युद्ध कर रही है ,हमारे दर्जनों सैनिक घायल हो चुके हैं और न जाने  कितने शहीद हो रहे हैं  यह कोई बताने को  कोई तैयार नहीं है।  जो लोग  दशहरे के त्यौहार में भी राजनीति कर रहे हैं वे इस अवसर पर अपने उन शहीदों को भी याद रखें जो इस वक्त अपनपोर में अपने प्राण न्योछावर कर रहे हैं। और यह भी याद रखें कि -जरा याद करो कुर्बानी !आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता पर डींगे मारने वालों जरा पंपोर की ओर देखो वहाँ तुम्हें तुम्हारे पाखण्ड का धुआँ ही  नजर आएगा!

क्या इस बार भी सरकारकी असफलता और सुरक्षा बलों की गफलत का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ दिया जाएगा ? जब -जब पाकिस्तान की ओर से हमले हुए तब-तब जन दबाव में सरकार ने तत्काल कूटनीतिक इंतजाम किये। मोदी सरकार ने अमेरिका ,रूस ,ब्रिटेन ,फ़्रांस जर्मनी ,जापान सहित तमाम दुनिया के देशों को साधने का भरपूर प्रयास किया ।लेकिन ताजा खबर है कि यूएनओ सहित अधिकांस देशोंने भारत-पाक सीमाओंकी झड़पों, कश्मीर के मुद्दे को  द्विपक्षीय बताकर इस मामले में चुप्पी साध ली है। वेशक पाकिस्तानको भी अमेरिका- चीनके अलावा कोई कोई साथ नहीं दे रहा है ,और भारत ने  पाकिस्तान में सार्क सम्मेलन  निरस्त करने में सफलता भी पाई है। किन्तु  जब तक हम पाकिस्तान में छिपे बैठे असली गुनहगारों को नहीं मार देते, तब तक हमारी सीमाओं पर उरी पठानकोट, उधमपुर और पंपोर की तरह नृशंस हत्याकांड होते रहेंगे। और तब तक यूएनओ ने भी हमारी विजय को तस्दीक नहीं करेगा जब  तब तक हम असली दुश्मन का सिर नहीं कुचल देते। सरकार समर्थकों को आइंदा  'ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक' जैसी मामूली कार्य वाहियों  का ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए !    


आज दशहरे पर देश भर में जगह-जगह रावण दहन किया जा रहा है। कुछ लोग 'आतंकवाद' को भी रावण के नाम पर जलाने जा रहे है। लेकिन नफरत के रावण को खत्म करने की कोई खास हिकमत नजर नहीं आ रही है। बल्कि 'नफरत की दीवार' की ऊँचाई  बढ़ती ही जा रही है, ठीक वैसे ही जैसे की आजकल  घास-फूस- कागजके रावणकी ऊँचाई बढ़ाने की होड़ मची है। कलतक जो लोग स्वच्छ्ता अभियान की सेल्फियाँ पोस्ट कर रहे थे वही लोग आज  वातावरण में -बारूदी  दुर्गन्ध और हर प्रकार का प्रदूषण फैलाने पर आमादा हैं। जो  मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम के सच्चे अनुयाई होंगे ,वे इस धतकरम और दिखावे और वातावरण को जहरीला बनाने में सहयोगी नहीं बनेगे। बल्कि वे भगवान् श्रीराम के धीरोदात्त चरित्र का अनुसरण करने में ही दशहरे की सार्थकता समझेंगे ।

                            श्रीराम तिवारी

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