सभ्य मानव समाज का सहज स्वभाव है कि वह अपनी अभिरुचियों को प्रतीकों के माध्यम से अभिव्यक्त किया करता है। गोस्वामी तुलसीदासजी ने इसे ''जाकी रही भावना जैसी ,प्रभु मूरत देखी तिन तैसी '' के रूप में व्यक्त किया है। यह सुखद संयोग है कि हिंदुओं के 'दशहरा' और ' विजयादशमी' दोनों पौराणिक त्यौहार एक साथ एक ही दिन मनाये जाते हैं। पुराणों में और लोक गाथाओं में रामलीला इत्यादि के माध्यम से दशहरा मनाये जाने का कारण श्रीराम और रावण का युध्द बताया गया है ,जिसमें कुटुंब सहित सहित रावण का संहार हुआ और श्रीराम की विजय हुई। इस विजय की याद में कर्नाटक [मैसूर] ,हिमाचल ,उड़ीसा तथा सम्पूर्ण भारत में 'दशहरा'मनाया जाता है। इस अवसर पर अधिकांस जगहों पर रामलीला होती है और रावण ,कुम्भकर्ण तथा मेघनाद को जलाया जाता है। लेकिन दक्षिण भारत [तमिलनाडु] और कुछ उत्तर भारतीय[मंदसौर]में हिंदुओं को भी 'रावण'का जलाया जाना पसन्द नहीं ।उनकी मान्यता है कि रावण ने कुछ भी गलत नहीं किया। जहाँ तक 'सीताहरण'का प्रश्न है तो वह उसकी बहिन सूर्पनखा के नाक-कान काटे जाने की अहिंसक प्रतिक्रिया मात्र है। इसके अलावा रावण खुद एक ऋषि की सन्तान था और वेदपाठी परम विद्वान ब्राह्मण था। उसके खिलाफ जो कुछ भी कहा गया या लिखा गया वह बढ़ा -चढ़ाकर लिखा गया ,ताकि इस बहाने मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम की यश कीर्ति को ब्रह्मांडव्यापी बनाया जा सके। आजकल जो लोग रावण दहन में बढ़चढ़कर रूचि लेते हैं वे शायद इस तथ्य को नहीं जानते।
दशहरे के रोज ही विजयादशमी त्यौहार मनाये जाने की वजह सम्भवतः सर्वाधिक 'साइंटिफिक'है। प्राचीन आर्यों ने 'असत 'पर सत्य की विजय के लिए ,आसुरी शक्तियों पर दैवी शक्तियों की विजय के लिए और विनाश की याने शैतानी ताकतों पर सृजन की शक्तियों की विजयके लिए निरन्तर घोर प्रयत्न [तप ]किये होंगे ,उन्होंने अपने हिस्से का श्रेष्ठतम अवदान- बलिदान समर्पित किया होगा । फलस्वरूप उस विराट 'महाशक्ति' का निर्माण हुआ, जिसे स्कन्धमाता, दुर्गा , काली,भद्रकाली ,कपालकुंडला ,भगवती,शिवा ,भवानी तथा कालरात्रि इत्यादि सैकडों नामों से पुकारा गया । आधुनिक वैज्ञानिक युग में जिसे 'अनंत ऊर्जा' कहा जा सकता है। संसार की तमाम सकारात्मक एवम लोकोत्तर शक्तियों के सङ्गठित रूप का नाम 'विजया' है। जिस दिन आद्यशक्ति ने 'आसुरी'ताकतों को खत्म किया उसे 'विजयादशमी कहते हैं ! यह त्योहार पूर्णतः वैज्ञानिक और मानवीय है।
सभी मित्रों ,सम्बन्धीजनों और सुह्र्दयजनों को विजयादशमी की शुभकामनायें ! श्रीराम तिवारी !
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