सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

''पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है '' -अरुण जेटली !



  यदि कोई गौर से और गंभीरता से सुब्रमण्यम स्वामी की बात पर ध्यान दे, तो उनकी बात में कुछ खास बात अवश्य होती है। वेशक सुब्रमण्यम स्वामीकी अधिकांस बातोंमें नकारात्मकता का बोलवाला हुआ करता है।किन्तु जब कभी वे बिगड़ैल हाथी की तरह 'अपने ही दल'पर टूट पड़ते हैं तब उनकी सही और सकारात्मक बातों पर भी विपक्ष के लोग चुप्पी लगा लेते हैं ,यह सरासर बेईमानी है।अभी-अभी सुब्रमण्यम स्वामी जी बोले हैं कि '' वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली  फेल हैं और उनकी की आर्थिक नीतियाँ  विनाशकारी हैं ,जबकि मोदीजी बहुत मेहनती हैं और एक अच्छे प्रधान मंत्री सावित हुए हैं'' !

सवाल उठता है कि जब अरुण जेटली की आर्थिक नीतियाँ ही एनडीए की आर्थिक नीतियाँ हैं याने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियाँ हैं, तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि केवल जेटलीजी ही गलत बताये जा रहे हैं और मोदी जी की तारीफ की जा रहीहै ?वेशक एनडीए याने मोदी सरकार याने अरुण जेटली की आर्थिक नीतियोँ से देश के निजी क्षेत्रों को खूब फायदा हुआ है। किन्तु गरीब और ज्यादा गरीब हुआ है। मनरेगा और गरीबों को सस्ते अनाज की नीति जैसे कुछ कल्याणकारी तदर्थ उपायों को यूपीए की लोकलुभावन नीति कहा जा सकता है ,लेकिन मोदी सरकार ने तो  'एनएसजी' में शामिल होने की आशा में विदेशियों को १००%एफडीआई ही खोल दिया। शर्मनाक यह है कि वह 'एनएसजी'की सदस्यता भी भारत को नहीं दी गयी।

 चूँकि वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटलीजी देश की अर्थ व्यवस्था को सही दिशा नहीं दे पाए , शायद मोदी जी भी उनसे नाखुश हैं ,इसलिए जेटलीजी ने अब अपने वकील होने का एहसास देश को कराया है। उन्होंने बयांन दिया है कि ''पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है '' ! चूँकि सामाजिक और राजनीतिक रूपसे जेटलीजी का यह बयान अपने आप में सर्वकालिक और सार्वभौम है।इसलिए संविधान का सम्मान करने वाले हरेक भारतीय का दायित्व है कि जेटलीजी के इस वयानका समर्थन करे। जिन्हें जेटलीजी से नफरत है ,जिन्हें भाजपासे परहेज है ,जिन्हें  संघ परिवार या  मोदी सरकार की नीति-रीति से परेशानी है ,वे यद्द्पि इसके लिए स्वतंत्र हैं ,किन्तु हरेक को अपने देश के संविधान का सम्मान करना ही होगा।

जेटलीजी ने कहा ही  कि ''पर्सनल लॉ  सम्विधान से ऊपर नहीं '' !वेशक संविधान से ऊपर तो  प्रधानमंत्री भी नहीं ,संविधान से ऊपर राष्ट्रपति भी नहीं और स्पष्ट समझ लिया जाए कि यद्द्पि लोकतंत्रमें संसद सर्वोच्च है ,किन्तु यह संसद भी संविधान से ऊपर नहीं । अतः  जो लोग पर्सनल लॉ को संसद से ऊपर मानते हैं ,या जेटली जी से असहमत हैं वे गलत हैं। सभी राजनैतिक दलों को चाहिये कि भारतीय संविधान की हिफाजत करें ,जो कि बाबा साहब अम्बेडकर के कर कमलों द्वारा इस देश की आवाम को प्रदान किया गया है। श्रीराम तिवारी !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें