कुछ नेताओं के मुखन से,
निकले मीठे बोल !
"हिंदू मुस्लिम सब एक हैं,
इक डीएनए सोल*!!"
डीएनए एक सोल*
साम्प्रदायिक तत्वों को,
रंचमात्र क्यों न शर्म हया है!!
साम्प्रदायिकता जातिवाद,
है हर चुनाव पर भारी!
रोको इसे जनता जनार्दन,
हे माधव मदन मुरारी !!
लोकतंत्र विकृत हो रहा,
चुनाव पर भारी भ्रष्टाचारी!
सावधान कर रहे हैंसबको,
पंडित श्री श्रीराम तिवारी
सोल*>Soul>आत्मा
See insights
Boost a post
1
Like
Comment
Send
Share
Ramashish Thakur
सही और गलत.....यह सब भाषा के अंतर्गत आता है ।संसार में कहो काला तो मन में सफेद आता है। कहो सही तो एक मन मे गलत आ जाएग। सही और गलत फिर मात्रात्मक हो जाएगा....मतलब किसी ने तुम्हारे साथ कितना गलत किया और तुम कितना कर रहे हो। सही को भी हम ऐसे ही मापते है।…
See more
- Like
- Reply
- Hide
See insights
Boost a post
All reactions:
2Uma Kant Pandey and Rajesh Kumar Tiwari2
Like
Comment
Send
Share
View more comments
Ramashish Thakur
वही नौका तो सब ढूंढ रहे हैं।
भगवान ने इस नौका को ऐसी जगह छिपा कर रख दिया है कि लोग ढूंढ ढूंढ कर परेशान हैं।
- Like
- Reply
- Hide
See insights
Boost a post
All reactions:
7Laxmikant Chaturvedi, Sangeeta Choubey and 5 others3
Like
Comment
Send
Share
वाद,प्रतिवाद और संवाद:-द्वंदात्मक भौतिकवादी दृष्टिकोण:
हीगल के द्वंद्ववादी भाववादी विकास के अनुसार किसी द्रश्य,ध्वनि या अहसास से सर्वप्रथम मूलतः एक विचार प्रकट होता है,वह -वाद होता है।उस विचार के विरोध में एक दूसरा विचार आता है,वह- प्रतिवाद होता है।इस प्रतिवाद का भी विरोधी विचार आता है जिसमे वाद और प्रतिवाद दोनों के सकारात्मक गुण होते है,यह,,संवाद,,होता है।इसके आगे वह संवाद ही वाद बन जाता है!और फिर वाद ,प्रतिवाद,संवाद की अनंत कड़ियां बनती जुडती चली जाती हैं।और इस तरह सत्य का …
See more
See insights
Boost a post
All reactions:
1Akshat TiwariLike
Comment
Send
Share
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें