इस्लामोफोबिया एक विहंगावलोकन:-
*.यह सर्वविदित है कि इस्लाम दुनियां का सबसे अधिक हिंसक संगठन है,क्योंकि इसने मजहब का नकाब ओढ़ लिया है और अलगाववादी तत्वों से स्वयं को जोड़ लिया है।यही वजह है कि भारत में विपक्षी दलों के हिंदू नेता इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ कभी एक शब्द नही बोलते। मुसलमानों के वोट पाने के लिए वे सनातन धर्म को खत्म करने की बात करते हैं और हिन्दू देवी देवताओं का संसद में मखौल उड़ाते हैं। ममता बनर्जी, राहुल गांधी,उदयनिधि मारान, स्वामी प्रसाद मौर्य और कई सपाई,तृणमूली और डीएमके नेता हैं जो इस्लामिक आतंकवाद के बजाय सनातन धर्म और संस्कृति को गाली देते रहते हैं।
*यह इतिहास सिद्ध है कि यदि किसी देश में मुसलमान दस प्रतिशत तक हों तो मानवता के व्यवहार की याचना करते हैं, बीस प्रतिशत हो जाए तो बराबरी के लिए संघर्ष करते हैं और तीस प्रतिशत हो जाए तो अत्याचार शुरू कर देते हैं। यदि संख्या कम हो तो इनका आचरण दारुल अमन का होता है। संख्या बीस प्रतिशत से ऊपर हो जाए तो ये दारुल हरब का लक्ष्य बनाते हैं और संख्या तीस प्रतिशत से ऊपर होते ही तो इनका लक्ष्य दारूल इस्लाम बन जाता है।
* मुसलमान भी दो प्रकार के हैंः-
(1). धार्मिक (2). साम्प्रदायिक/संगठित। धार्मिक मुसलमान वह होते हैं जो तौहिद (एकेश्वरवाद), रोजा, हज, नमाज और जकात को प्राथमिकता मानकर अन्य रीति-रिवाजों को गौण मानते हैं। संगठित मुसलमान संख्या विस्तार, वेशभूशा, दाढ़़ी, विवाह, तलाक आदि को धार्मिकता की तुलना में अधिक महत्व देते हैं। वे शुक्रवार की नमाज में भी धार्मिक मुसलमान नमाज को महत्व देता है तो संगठित मुसलमान मौलाना की उत्तेजक भड़काऊ तकरीर को।
*भारत में धार्मिक मुसलमानों की संख्या लगातार घट रही है। सूफी मुसलमान आमतौर पर धार्मिक होते हैं किंतु उनकी संख्या भी घट रही है। *संघ परिवार* किसी मुसलमान को धार्मिक नही मानता जो कि गलत है ।
*संगठन में शक्ति होती है। इस्लाम, धर्म के नाम पर एक आक्रामक संगठन है। संगठन शक्ति के बल पर इस्लाम ने १४ सौ वर्षो में ही हिंसा और आतंक के बल पर बहुत उन्नति कर ली। इसके बरक्स संघ के नेतृत्व में हिन्दुत्व करुणा,अहिंसा समानता और लोकतांत्रिक विचारों के आधार पर आगे बढ़ रहा है।
*ईसाइयत प्रेम, सेवा, सद्भाव, शिक्षा, लोभ- लालच के आधार पर आगे बढ़ रहा है। इसलिए हिंदू और ईसाई दोनों ही इस्लाम की संगठन शक्ति के समक्ष टिक नही सके। भारत में पिछले १० वर्षो में -नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद पूरी दुनियां इस्लाम से सतर्क हो रही है। चीन इस सतर्कता में सबसे सफल रहा है। उईगरों पर नियंत्रण करके चीन के प्रयत्न सबसे अधिक कारगर रहे हैं। भारत को भी ठीक इसी दिशा में है आगे बढ़ना होगा। बांग्लादेशियों,रोहिंग्याओं और पाकिस्तान समर्थकों को नियंत्रित किये बिना भारतीय लोकतंत्र अक्षुण्ण नहीं रह सकता।
*.आई एस आई एस की संगठन शक्ति और भारत पाकिस्तान,अमेरिका,ब्रिटेन में पल रहे आतंकी ग्रुप पूरी दुनियां के लिए चुनौती हैं।भारतको यह षड्यंत्र समझना चाहिए।किन्तु संघ परिवार समस्या के समाधान की अपेक्षा सत्ता पर संगठन का हस्तक्षेप चाहता है। संघ की कार्यप्रणाली सिर्फ संगठनात्मक है, धार्मिक नहीं। संघ कभी समान नागरिक संहिता की बात करता है,कभी हिंदू राष्ट्र की। संघ का यह रवैया दुनिया के लोकतांत्रिक राष्ट्रों को डराता है। इस्लामिक वर्ल्ड को संघ से कोई परहेज नही। यही वजह है कि संघ और मोदीके डर से सिर्फ भारतीय मुसलमान भयभीत हैं। यही वजह है कि वे भाजपा के खिलाफ टैक्टिकल वोटिंग करते हैं, राष्ट्रविरोधी सनातन विरोधी भाजपा विरोधी ताकतों को एकजुट करते रहते हैं।
* यह कटु सत्य है कि भारत में धर्मनिरपेक्षता का मुखौटा लगाकर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का घातक प्रयास हुआ है।७० वर्ष तक हिन्दुओं को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाकर रखा गया। अब मोदी सरकार समान नागरिक संहिता चाहती है तो संघ परिवार मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाये रखने की बात करता है। इसीलिए मरणासन्न विपक्षी दल मुसलमानों को ढाल बनाकर अस्तित्व बचाने के लिए प्रयत्नशील है। मुसलमान वोटर्स को मोदी योगी और संघ से डराकर २०२४ के चुनाव में विपक्ष के I.N.D.I.अलायंस ने भाजपा का लक्ष्य (अबकी बार चार सौ पार)पूरा नही होने दिया।
* कोरोना संकट में तबलीगियों के आचरण ने भारतीय मुसलमानों की पोल खोल कर रख दी। पहले हिन्दुओं के मन में मुसलमानों के विरूद्ध कोई ज्यादा आक्रोश या घृणा नहीं था। किंतु अब आक्रोश का स्थान घृणा ने ले लिया है। जो काम संघ परिवार सत्तर वर्षो में नही कर सका वह कार्य तबलीगियों की एक मूर्खता ने कर दिया। अब भारत के हर आदमी को पता चल गया कि भारतीय मुल्ला-मौलवी स्वयं संचालित नहीं हैं। ये मुल्ला-मौलवी विदेशी योजना से संचालित हैं। ये मुल्ला तो सिर्फ माध्यम हैं। वास्तव में तो भारत का मुसलमान विदेशी मुसलमानों की कठपुतली मात्र है। मदरसा प्रणाली,पर्सनल लॉ बोर्ड,बक्फ की भू लालसा अब किसी छिपे नहीं हैं।
*दुनियां में दो प्रवृत्तियां घातक हैंः-
(1). बल (2). छल। पूंजीवाद दुनियां की सबसे अधिक खतरनाक विचारधारा है जो श्रम शोषण को अधिक महत्व देती है और जो मुनाफाखोरी, मंहगाई,वेरोजगारी के लिए कुख्यात है।
इस्लाम* दुनियां की सर्वाधिक खतरनाक मजहबी विचारधारा है,जो परभक्षी आतंक बल को अधिक महत्व देता है। इसके अलावा एक और दुखद विसंगति है कि दुनियां में इस्लाम और साम्यवाद में कहीं एकता नहीं है, किन्तु भारत में केरल बंगाल को छोड़ कर शेष भारत में दोनों एक साथ मिलकर काम करते हैं।
*भारत का अधिकांश मुसलमान स्वयं को शेर समझता है और दूसरों को गाय। उसके अन्दर यह भावना भरी हुई है कि वे भारत के शासक थे और अंग्रेजों ने मुसलमानों से भारत की सत्ता ली थी। इसलिए सत्ता पर उनका पहला अधिकार बनता है। धीरे-धीरे दुनियां में जिस तरह का वातावरण बन रहा है उसमें मुसलमानों को या तो मानव धर्म की दिशा में जाना होगा या फिर वे कयामत तक इंतजार करते रहें। :-श्रीराम तिवारी
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