किसी की मृत्यु को, हम यदि अकाल मृत्यु, दुर्भाग्यशाली, दुखदाई वगैरा कहते हैं, तो, इसका सीधा साफ मतलब एक ही होता है, कि, यह सृष्टि, जिस सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी शक्ति से चल रही है, और, जिन नियमों के अंतर्गत, ये सृष्टि चल रही है, उस सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी शक्ति और उसके नियमों को ही, हम गलत ठहरा रहे हैं, दुखदाई ठहरा रहे हैं। सृष्टि में कोई काम "अकाल" नहीं होता, सिर्फ़ हमारी समझ कम पड़ जाती है, इसलिए हम मृत्यु को कभी अकाल, कभी दुर्भाग्यपूर्ण कहते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें