यदि हिन्दू बाकई हिंसक होते,तो भारत एक हजार साल तक गुलाम नहीं रहता। यहां कोई अल्पसंख्यक नही होता। यहां भारत में पर्सनल लॉ बोर्ड नही होता। भारत की बेशकीमती जमीनें बक्फ बोर्ड के कब्जे में नही होती।
यदि हिन्दू हिंसक होता तो कश्मीरी पंडित दर दर की ठोकरें नही खाते। यदि हिन्दू हिंसक होता तो यहां संतुष्टिकरण की राजनीति और धर्मनिरपेक्ष का भ्रम नही होता। हिंदू हिंसक होता तो रामनवमी दुर्गा पूजा के जुलूसों पर पत्थर बाजी नही होती। हिंदू हिंसक होते तो भारत में मीरजाफर जैसे आस्तीन के सांप नही होते। काश हिंदू हिंसक होते...
यदि हिन्दू हिंसक होते तो इंदिरा जी की शादी फीरोज खान {बाद में महात्मा गाँधी ने अपना गाँधी सरनेम उधर दिया } से नहीं होती ! राजीव की शादी किसी क्रिश्चियन एयर होस्टेस से नहीं हो पाती ! तब राहुल गाँधी मुस्लिम परस्त नहीं होते !
हिन्दू यदि हिंसक होते तो अफगानिस्तान ,पाकिस्तान,बांग्लादेश ,म्यांमार और तिब्बत उनके हाथ से नहीं जाते। हिन्दू हिंसक होते तो आजादी के बाद भारतीय संविधान अंग्रेजों की नक़ल से नहीं बनता, बल्कि मनु स्मृति और हिन्दू शास्त्रों के आधार पर लिखा जाता। या फिर हिन्दू कानून होते ,जैसे की मुसलमानों के लिए शरीयत और पर्स्नल लॉ का प्रावधान है।
हिन्दू यदि हिंसक होते तो नूपुर शर्मा को रुसवा नहीं होना पड़ता! हिन्दू यदि हिंसक होते तो क्या सनातन विरोधी उदयनिधि मारन और स्टालिन का लोंढा जीवित नहीं बचते। हिन्दू यदि हिंसक होते तो असदुद्दीन ओवैसी की औकात नहीं होती की संसद का मुंह देख सके। हिन्दू यदि हिंसक होते तो संसद में वंदे मातरम ,भारत माता की जय कहने के बजाय "जय फिलिस्तीन " का नारा लगाने वाले का नामोनिशान मिटा जाता। हिन्दू यदि हिंसक होते तो राहुल गाँधी कहीं से भी चुनाव नहीं जीत पाते और संसद में हिन्दू धर्म या हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने की नौबत ही नहीं आती। जय हिन्द। [क्रमश ;}
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