रविवार, 17 सितंबर 2023

परिंदे नजर अपनी आसमानी रख।:-

अरे ओ! परिंदे हौसला कायम रख!
सतत उड़ान अपनी तूं जारी रख!!
हर निगाह है तुझ पर ही स्थिर,
पैंतरेबाजी में तूं सावधानी रख!
बुलंदियाँ छूने का हौसला है यदि,
हिम्मत की अनूठी कहानी रच!!
फिजाएं तेरे परों को आजमाएगीं,
परिंदे नजर अपनी आसमानी रख!
परिंदे पहिले भी उड़े हैं अनेकानेक,
सीख उनकी भी मुँह जुबानी रख!!
राह भटके जो भूले न लौटे कभी,
याद उनकी भी कुछ निशानी रख!
दहक़ता आसमाँ होगा यत्र तत्र सर्वत्र,
ऊंची उड़ानों में पुरुषत्व पानी रख!!
कहीं बादल घनेरे अँधेरा घुप्प कहीं,
कौंधतीं बिजलियाँ होंगी मानी रख!
धुंध के पार का विहंगावलोकन कर,
और सितारों से भी आगे रवानी रख !!
अरे ओ परिंदे हौंसला कायम रख!
सतत उड़ान अपनी तूं जारी रख!!
(मेरे काव्य संग्रह 'शतकोटिमंजरी' से अनुदित संशोधित सर्वाधिक सराही गई रचना)
:- श्रीराम तिवारी
See insights
Boost a post
All reactions:
Ramesh Ranjan Tripathi, Balbhadra Mishra and 3 others

सरकारी विभाग में भाई भतीजावाद और रिश्वतखोरी

 भारत में कोई भी सरकार आये या जाए,इस बात पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि सरकारी नौकरी केवल उन्ही को मिलती है जिनके बाप दादा या रिश्तेदार पहले से ही बड़े बड़े सरकारी पदों पर डटे हुए हैं! अपवाद स्वरूप कुछ नौकरियां ऐसी हुआ करती थी, जैसे कि हमारे जमाने में टेलिकाम विभाग में फर्स्ट डिवीजन वालों और मेरिट वालों को बिना रिश्वत नौकरी मिल जाया करती थी!

किंतु रेलवे में कार्यरत 65% कर्मचारियों/अधिकारियों में से कुछ रिश्वत के बलबूते पर वहां पहुंचे होंगें,बाकी अधिकांश वो हैं जिनके बाप दादा या रिश्तेदार रेलवे में हुआ करते थे! यही हाल IAS/IPS/IRS/IFS और दीगर केंद्र राज्य सरकारी सेवाओं का है!
मेरे देश में भाई भतीजावाद यहां तक है कि लालू,राबड़ी तेजस्वी, नीतीष,मुलायम अखिलेश,मायावती पासवान ने पूरे समाज को ही अपना कुनबा बना डाला है ! केवल यूपी बिहार में ही नही बल्कि भ्रष्ट लालू जब रेलमंत्री हुआ करता था, तब महाराष्ट्र, बंगाल और झारखंड में उसके परिवार की सहमति के बिना चपरासी की भी भर्ती नही हो सकती थी! लालू राज में एक जाति विशेष के लोग दूध की बड़ी बड़ी केन रेल में लटकाकर आरक्षित सीट पर WT चलते थे !मुलायम अखिलेश के राज में एक ही जाति के लगभग 50,000 अधिकारी यूपी में भर्ती हुए हैं!
उक्त अंधेरगर्दी के कुछ अंश यूपी क अधिकांश जनपदों में अब भी मौजूद हैं! रेलवे में दादागिरी का उनका दबदबा बनारस से पटना तक अभी भी मौजूद हैं! निष्कर्ष यह है कि यूपी बिहार के अलावा पूरे देशमें हर सरकारी विभाग में भाई भतीजावाद और रिश्वतखोरी के परनाले बजबजा रहे हैँ! अत: रेलवे समेत तमाम केंद्रीय सेवाओं का निजीकरण कर दिया जाना चाहिये।
यह जिम्मेदारी उन लोगोंको दी जाए जो अडानी, अंबानी, टाटा,बिड़ला,महिंद्रा,शापूरजी इत्यादि बड़े बड़े पूंजीपतियों की तरह प्रतिष्ठित हों,जिनके यहां चमचों मक्कारों,मूर्खों,जातिवादियों की नही, बल्कि योग्यता की कद्र होती है ! निजी क्षेत्र में आरक्षण केवल अत्यंत कमजोर और अपंगों को ही दिया जाना चाहिए!
निजी क्षेत्र में भी परिवारवाद तो होता है, किंतु मक्कारी को कोई स्थान नही! भारत को यदि अपने प्रतिद्वंदियों से आगे बढ़ना है, तो कार्य क्षमता,योग्यता, उत्पादन गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना होगा! सरकारी भ्रष्टाचार मिटाना हो तो निजीकरण तेजी से करना होगा! राजनीति को स्वच्छ बनाना हो तो पांच साल के लिये संविधान स्थगित कर आपातकाल लगाना होगा !
सर्वदलीय सरकार गठित करनी होगी! नरेंद्र मोदी को जीवन पर्यंत प्रधानमंत्री बनाना होगा- मलेशिया के ओल्ड महाथिर मुहम्मद की तरह और क्यूबा के फीड्रेल कास्त्रो की तरह या चीन के शी जिन पिंग की तरह,मोदी को सर्वाधिकार दिये जाएं!
यदि चीन पाकिस्तान और इस्लामिक आतंकवाद पर विजय करना है तो उक्त कठोर कदम उठाने ही होंगे, अन्यथा छोटी छोटी हिंदू बच्चियां हरामजादों की हवश का शिकार होती रहेंगी ! देश हित में दबे कुचले गरीब हिंदूओं के हित में निजीकरण, 5 साल आपातकाल और आगामी 10 साल तक नरेंद्र मोदी का नेतृत्व जरूरी है! निजीकरण सब जगह 100 हो जाना चाहिए ताकि न रहे बाँस न बजेगी बांसुरी!
जब इस सिस्टम में गरीबों को सरकारी नौकरी नहीं, गजबा ए हिंद के हरामियों के रहते यूपी बिहार में गरीबों की बेटियां सुरक्षित नहीं तो *जिस सिस्टम में रोजगार न मिले, सरकारी क्षेत्र में शिक्षा स्वास्थ्य की हालात बदतर हो, उस सरकारी सिस्टम को तत्काल खत्म कर फौरन निजीकरण किया जाना चाहिए! सिर्फ शर्त एक है कि निजीक्षेत्र का हर CEO और मालिक रतन टाटा जैसा हो!
See insights
Boost a post
All reactions:
Er R. D. Badole, Rajni Raman Sharma and 2 others

शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

मंदिर जाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है!

आमतौर पर मंदिर में जाना धर्मिक से जोड़ा जाता है। लेकिन मंदिर जाने के कुछ वैज्ञानिक स्वास्थ्य लाभ भी हैं। अगर हम रोज मंदिर जाते हैं तो इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्या नियंत्रित की जा सकती हैं। यहां जानिए ऐसे 7 फायदे जो हमें रोज मंदिर जाने से मिलते हैं।
हाई बी पी कंट्रोल करने के लिए:
मंदिर के अंदर नंगे पैर जाने से यहां की सकारात्मक ऊर्जा पैरों के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करती है। नंगे पैर चलने के कारण पैरों में मौजूद प्रेशर प्वाइंट्स पर दवाब भी पड़ता है, जिससे हाई बी पी की समस्या नियंत्रित होती है।
एकाग्रता बढ़ाने के लिए:
रोज़ मंदिर जाने और भौहों के बीच माथे पर तिलक लगाने से हमारे दिमाग के ख़ास हिस्से पर दवाब पड़ता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
ऊर्जा स्तर बढ़ाने के लिए:
रिसर्च कहती है, जब हम मंदिर का घंटा बजाते हैं, तो 7 सेकण्ड्स तक हमारे कानों में उसकी आवाज़ गूंजती है। इस दौरान शरीर में सुकून पहुंचाने वाले 7 प्वाइंट्स सक्रिय हो जाते हैं। इससे ऊर्जा स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है।
इम्युनिटी बढ़ाने के लिए:
मंदिर में दोनों हाथ जोड़कर पूजा करने से हथेलियों और उंगलियों के उन प्वॉइंटस पर दवाब बढ़ता है, जो शरीर के कई भागों से जुड़े होते हैं। इससे बॉडी फंक्शन सुधरते हैं और इम्युनिटी बढ़ती है।
बैक्टीरिया से बचाव के लिए:
मंदिर में मौजूद कपूर और हवन का धुआं बैक्टीरिया ख़त्म करता है। इससे वायरल इंफेक्शन का खतरा टलता है।
तनाव दूर करने के लिए:
मंदिर का शांत माहौल और शंख की आवाज़ मानसिक तनाव दूर करती है। इससे तनाव दूर होता है।
डिप्रेशन दूर होता है:
रोज़ मंदिर जाने और भगवान की आरती गाने से ब्रेन फंक्शन सुधरते हैं। इससे डिप्रेशन दूर होता हैं।

May be an image of 1 person
All reactions:
पंडित अनूप चौबे, Rajendra Awasthi and 31 others
7
2
Like
Comment
Share