भारत में कोई भी सरकार आये या जाए,इस बात पर कोई फर्क नहीं पड़ता कि सरकारी नौकरी केवल उन्ही को मिलती है जिनके बाप दादा या रिश्तेदार पहले से ही बड़े बड़े सरकारी पदों पर डटे हुए हैं! अपवाद स्वरूप कुछ नौकरियां ऐसी हुआ करती थी, जैसे कि हमारे जमाने में टेलिकाम विभाग में फर्स्ट डिवीजन वालों और मेरिट वालों को बिना रिश्वत नौकरी मिल जाया करती थी!
किंतु रेलवे में कार्यरत 65% कर्मचारियों/अधिकारियों में से कुछ रिश्वत के बलबूते पर वहां पहुंचे होंगें,बाकी अधिकांश वो हैं जिनके बाप दादा या
रिश्तेदार रेलवे में हुआ करते थे! यही हाल IAS/IPS/IRS/IFS और दीगर केंद्र राज्य सरकारी सेवाओं का है!
मेरे देश में भाई भतीजावाद यहां तक है कि लालू,राबड़ी तेजस्वी, नीतीष,मुलायम अखिलेश,मायावती पासवान ने पूरे समाज को ही अपना कुनबा बना डाला है ! केवल यूपी बिहार में ही नही बल्कि भ्रष्ट लालू जब रेलमंत्री हुआ करता था, तब महाराष्ट्र, बंगाल और झारखंड में उसके परिवार की सहमति के बिना चपरासी की भी भर्ती नही हो सकती थी! लालू राज में एक जाति विशेष के लोग दूध की बड़ी बड़ी केन रेल में लटकाकर आरक्षित सीट पर WT चलते थे !मुलायम अखिलेश के राज में एक ही जाति के लगभग 50,000 अधिकारी यूपी में भर्ती हुए हैं!
उक्त अंधेरगर्दी के कुछ अंश यूपी क अधिकांश जनपदों में अब भी मौजूद हैं! रेलवे में दादागिरी का उनका दबदबा बनारस से पटना तक अभी भी मौजूद हैं! निष्कर्ष यह है कि यूपी बिहार के अलावा पूरे देशमें हर सरकारी विभाग में भाई भतीजावाद और रिश्वतखोरी के परनाले बजबजा रहे हैँ! अत: रेलवे समेत तमाम केंद्रीय सेवाओं का निजीकरण कर दिया जाना चाहिये।
यह जिम्मेदारी उन लोगोंको दी जाए जो अडानी, अंबानी, टाटा,बिड़ला,महिंद्रा,शापूरजी इत्यादि बड़े बड़े पूंजीपतियों की तरह प्रतिष्ठित हों,जिनके यहां चमचों मक्कारों,मूर्खों,जातिवादियों की नही, बल्कि योग्यता की कद्र होती है ! निजी क्षेत्र में आरक्षण केवल अत्यंत कमजोर और अपंगों को ही दिया जाना चाहिए!
निजी क्षेत्र में भी परिवारवाद तो होता है, किंतु मक्कारी को कोई स्थान नही! भारत को यदि अपने प्रतिद्वंदियों से आगे बढ़ना है, तो कार्य क्षमता,योग्यता, उत्पादन गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना होगा! सरकारी भ्रष्टाचार मिटाना हो तो निजीकरण तेजी से करना होगा! राजनीति को स्वच्छ बनाना हो तो पांच साल के लिये संविधान स्थगित कर आपातकाल लगाना होगा !
सर्वदलीय सरकार गठित करनी होगी! नरेंद्र मोदी को जीवन पर्यंत प्रधानमंत्री बनाना होगा- मलेशिया के ओल्ड महाथिर मुहम्मद की तरह और क्यूबा के फीड्रेल कास्त्रो की तरह या चीन के शी जिन पिंग की तरह,मोदी को सर्वाधिकार दिये जाएं!
यदि चीन पाकिस्तान और इस्लामिक आतंकवाद पर विजय करना है तो उक्त कठोर कदम उठाने ही होंगे, अन्यथा छोटी छोटी हिंदू बच्चियां हरामजादों की हवश का शिकार होती रहेंगी ! देश हित में दबे कुचले गरीब हिंदूओं के हित में निजीकरण, 5 साल आपातकाल और आगामी 10 साल तक नरेंद्र मोदी का नेतृत्व जरूरी है! निजीकरण सब जगह 100 हो जाना चाहिए ताकि न रहे बाँस न बजेगी बांसुरी!
जब इस सिस्टम में गरीबों को सरकारी नौकरी नहीं, गजबा ए हिंद के हरामियों के रहते यूपी बिहार में गरीबों की बेटियां सुरक्षित नहीं तो *जिस सिस्टम में रोजगार न मिले, सरकारी क्षेत्र में शिक्षा स्वास्थ्य की हालात बदतर हो, उस सरकारी सिस्टम को तत्काल खत्म कर फौरन निजीकरण किया जाना चाहिए! सिर्फ शर्त एक है कि निजीक्षेत्र का हर CEO और मालिक रतन टाटा जैसा हो!
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