प्रातः स्मरणीय ,महान दर्शनशाश्त्री ,प्राच्य विद्द्या विशारद ,शिक्षक शिक्षा शास्त्री और स्वाधीनता संग्राम सेनानी-डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नमन करते हुए आज हमें देश के समकालीन 'गुरु घंटालों' से सावधान रहने का संकल्प लेना चाहिए !
'गुरु' महिमा पर जिस धर्म ,पंथ -मजहब में जितना ज्यादा महत्व दिया गया,कालान्तर में उस पंथ ,मजहब या धर्म में उतना ही दुराचार ज्यादा तीव्रता से बढ़ता चला गया । गुरुमहिमा का ज्यादा बखान करने वाला अंध समर्थक स्वयं भी एक छोटा मोटा 'गुरु घंटाल' अवश्य हुआ करता है!दूसरों को ज्ञान -ध्यान सिखाने वाले खुद तो जिन्दगी भर ऐय्याशी करते रहते हैं . अंत में दुनिया की नजरों से गिरते हैं या बेमौत मर जाते हैं।ये स्वयम तो मानसिक रोगी होते ही हैं ,मरते-मरते आगामी पीढ़ियों को भी कन्फ्यूज करते चले जाते हैं ।
सिर्फ हिंदू,जैन,बौद्ध ही नही बल्कि इस्लाम और ईसाईयत में तो ऐंसे ऐंसे गुरु घंटाल भरे पड़े हैं कि पुलिस कानून का हाथ उन तक नही पहुंच पाता! ऐंसे ऐंसे मुल्ले मौलवी और आदर फॉदर भरे पड़े हैं,जिनकी चर्चा भी मीडिया में नही हो सकती! क्योंकि वे सपा,बसपा, राकापा,कांग्रेस,जदयू, राजद,और ममता नामक राक्षसी के वोट बैंक को प्रभावित करने में समर्थ हो सकते हैं!
यही वजह है कि किसी मुल्ले,मौलवी,फॉदर के रेपकांड की या उनके द्वारा की जा रही बाचिक हिंसा की चर्चा इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट मीडिया में नही होती। क्योंकि वहां *सर तन से जुदा * का खतरा मंडराने लगता है।सिर्फ नित्यानंद,जयेंद्र निर्मल बाबा,पाल दिनाकरण,ओसामा-बिन लादेन, भिण्डरावाला या आसाराम की ही बात नहीं है. केवल हिन्दू मुस्लिम -जैन बौद्ध -ईसाई , सिख या अन्य किसी खास 'सिद्धांत' दर्शन की बात नहीं है बल्कि दुनिया के हर धर्म-मजहब में तथाकथित 'अवतार' 'गुरु'उपदेशक-उद्धारक या नए-पंथ के संस्थापक विवादास्पद होते आये हैं!
समकालिक दौर में भी हर धर्म-मजहब में एक सी स्थति है!जहां कहीं किसी धर्म-मजहब में 'कदाचार' दुराचार दिखाई न दे तो समझो उस धर्म-मजहब -पंथ में असहिष्णुता ज्यादा है .उस पंथ या धर्म के लोग डरे हुए हैं या अज्ञानी हैं! जो अपने 'गुरु घंटालों 'को पहचान नहीं पा रहे हैं, वे कूड़मगज ही देशद्रोही होते हैं!जिस तरह एक तानाशाही शासन में आम जनता चुपचाप सब कुछ सहती रहती है,ठीक उसी तरह'कट्टरपंथ' से ओतप्रोत धर्म-मजहब या पंथ में उस के अनुयायी बेहद गुलामी का जीवन जिया करते हैं!उस धर्म, पंथ मजहब या आश्रम में कुछ खास लोग कब्जा जमाकर शेष निर्दोष अनुयाई वर्गको अंधानुकरण के लिए प्रेरित करते रहते है !
गुरुकुल,मदरसा,आश्रम,विद्यापीठ , संकुल इत्यादि में जब वैज्ञानिक और जीवन उपयोगी नैतिक चारित्रिक शिक्षा के बजाय जड़ धर्मान्धता ,विद्वेष ,के बीज वपन बचपन से ही किये जायेंगे तो बेहतरीन राष्ट्र निर्माता या देश भक्ति पूर्ण नयी पीढी का निर्माण कैसे संभव होगा ?जब बचपन से ही रटाया जाएगा की अपने धर्म - मजहब के लिए मर-मिटो 'स्वर्ग या जन्नत' मिलेगी। 'गुरु ' का सम्मान भगवान् से बढ़कर है , गुरु कैसा भी हो! इसीलिए आसाराम, नित्यानंद ,भीमानंद,भोगानंद,तांत्रिक चंद्रास्वामी, या अफजल गुरु कमतर नहीं आंके जा सकते !
जब अफजल गुरु को फांसी दी जा सकती है तो इन तमाम देशद्रोहियों को जेल क्यों नहीं भेजा जा सकता ? हजारों महिलाओं का शील भंग करने वाले ये दुराचारी आसाराम ,नित्यान्नद , भीमानंद गुरु कहलाने के लायक नहीं है . इन पापियों की ताकत शैतान से बढ़कर है,ये पुलिस को,क़ानून को,सरकार को डराते हैं !ये संविधान को नहीं मानते फिर ये देशद्रोही घोषित क्यों न किये जाएँ ? जो निर्दोष नर नारी इन धोखेबाजों के झांसे में आकर इन पापियों के भक्त या चेले बन जाते हैं. अपने पापी पतित गुरु घंटाल को बचाने के लिए कानून और पुलिस को भी धमका ते है!यह बहुत संगीन अपराध है !
आज शिक्षक दिवस पर देश भक्त ,धर्मनिरपेक्ष जनता को संकल्प लेना चाहिए कि :-
" गुरु कीजे जानकार ,पानी -पीजे छानकर "
श्रीराम तिवारी
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