गुरुवार, 7 सितंबर 2023

व्यभिचारों का छद्म सिस्टम नहीं चाहिए।

 फूल अनगिन खिलें वो चमन चाहिए।

शोर काफी हुआ कुछ अमन चाहिए।।
जिसमें ईमान करुणा का परचम फिरे,
चाँद तारों भरा वो नीला गगन चाहिए।
अपने भारत की धरती नंदन वन बने,
दिल में हर शख्स के ये लगन चाहिए।।
कुछ भी रंगरूप हो किन्तु मन एक हो,
जाति मज़हब की सियासत नही चाहिए।
प्यार करुणा की क्यारी बना बागवांन,
बम बारूद का विध्वंश नहीं चाहिए ।।
खार खुशहाल हों और गुल्म रोते रहें,
हमको घटिया सियासत नहीं चाहिये।
खंतियाँ खोद जिनकी जवानी चली गई ,
आजीविका के पवित्र साधन उन्हें चाहिए।।
हद्द असमानता की मिट सकी ना साथियों ,
व्यभिचारों का छद्म सिस्टम नहीं चाहिए।
देखो सब्ज पत्तीं भी हों लाली फूलों पै हो,
जर्रा जर्रा खिले वो हरा भरा चमन चाहिए।।
हो कबीलाई बर्बरता का अवसान हो
विश्व बन्धुत्त्व अमन की लहर चाहिए।
शासक मस्त सत्ता के मद चूर हों बेखबर,
हिप्पोक्रेटिक हिंसक सियासत नहीं चाहिए।।
;श्रीराम तिवारी

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