बुधवार, 26 अप्रैल 2023

ज़िन्दगी का ये सफ़र,बहुत जदोजहद भरा है *आहत*

 कौन जाने कि ये कौन सा दर्द है जो घटता ही नहीं,

होता जाता है बेजा असहनीय मरहम लगाने के बाद !
डाल पर जब तक खिले हैं फूल महका करेंगे खूब,
लेकिन ख़ुशबू दे न सकेंगे ये कल मुरझाने के बाद !
प से होता है पानी, भ से होती है भयंकर भूख अंकल,
मजलूम भूखे बच्चे ने कहा थोड़ा सा हकलाने के बाद !
ज़िन्दगी का ये सफ़र,बहुत जदोजहद भरा है *आहत*,
करोड़ों हैं बेरोजगार शेष, लाखों भूखे मर जाने के बाद !
रास्ता काँटों भरा है,मुश्किल में है धरती और मानवता,
भीख पर जिंदा है भीड़,अच्छे दिन आ जाने के बाद!

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