हर भारतीय को सेक्युलर और राष्ट्रवादी होना चाहिए!*
कुछ मंदमति नर नारी,जिन्होंने न तो भारतीय संविधान पढ़ा हैं,न ही उन्हें भारतीय स्वाधीनता संग्राम की सेक्युलर महत्ता का ज्ञान है!और न ही उन्हें लोकतंत्र के बारे में सही ज्ञान है! वे अक्सर इस बात पर नाराज रहते हैं कि भारत में कुछ पढ़े लिखे मध्यमवर्गीय हिंदू सेक्युलर* क्यों हैं?
जबकि वास्तविकता के धरातल पर उन्हें खुश होना चाहिये कि भारत में सब के सब कूड़ मगज धर्मांध नही हैं!उन्हें गर्व होना चाहिये कि कुछ तो हैं जो लोकतंत्र संविधान और *सर्वधर्म समभाव* पर अडिग हैं!सेक्युलर होना तो सभ्य संसार में सबसे अच्छी बात है! यह तो गर्व की बात है,यही भारतीय संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों का निचोड़ है!
यदि कोई कहता है कि वह सेक्युलर नही है,वह अपने धर्म मजहब को संविधान से ऊपर मानता है,ऐंसा व्यक्ति वतन परस्त नही गद्दार है,फासिस्ट है! ऐंसा व्यक्ति अमन का दुश्मन है!वेशक अतीत में कुछ अल्पसंख्यक लोग हिंदूओंके खिलाफ रहे हैं औरभारत के प्रति उनकी निष्ठा संदेहास्पद रही है! वे जेहाद और दारुल हरम की बात करते रहे हैं! वे PFI,सिमी,जमीयत उलेमा ए हिंद,ISI और दुख्तराने* हिंद एवं वैश्विक इस्लामिक आतंकवाद के लिये खाद पानी देते रहे हैं!
किंतु रामलला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय उपरांत भारत के अधिकांस प्रोग्रेसिव मुसलमानों की सकारात्मक प्रतिक्रिया रही! इसी तरह NRC पर तमाम भी हिंदूओं ने मुस्लिम समाज का पक्षपात समझने की कोशिश की। कोरोना काल में भारत के हिंदू मुस्लिम समाज ने एक होकर महामारी के संकट का सामना किया! मोदी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब को वैक्सीन लगाकर संरक्षित किया! वक्त ने सभी को एक नाव में बिठा दिया!
अब जबकि वक्त ने करवट ली है,कोरोना बायरस नाम रूप बदलकर मानव समाज पर हमला किया है,जब दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ी है,तब भारत की पुनः जिम्मेदारी बनती है कि दुनिया को वैक्सीन उपलब्ध कराए! लंबे अरसे तक चले रूस उक्रेन युद्ध के कारण विश्व में भुखमरी की आहट सुनाई दे रही है ऐ़से में भारत सरकार न केवल अपने देश की जनता की भूख मिटाएगी,बल्कि दुनिया के गरीब मुल्कों की भी मदद करेगी!
वास्तविक परिदृश्य के मुख्य पृष्ठ पर यदि कोई व्यक्ति या समुदाय देश के साथ नहीं चलता तब प्रचंड बहुमत प्राप्त सरकार के समक्ष कड़े कदम उठाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं! दूसरी तरफ हर किसी ऐरे गैरे नत्थू खैरे को हक नहीं कि
किसी को देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांटता है तो वह घटिया राजनीति कर रहा है!
वैसे तो मौजूदा संकटकाल में जिंदा रहने के लिये सभी मुल्क समान रूप से संघर्षरत हैं! दुनियाभर के नर नारी अपने अपने मुल्क की मिट्टी से कुछ ज्यादा ही मुहब्बत करने लगे हैं! कि्तु भारत में 20% आबादी अभी भी ऐ्सी है जो इस राष्ट्र को कम और अपने मजहब को ज्यादा तबज्जो देती है! 10% ऐसे हो सकते हैं जो कि नही जानते कि राष्ट्र किस चिड़िया का नाम है? 20% लोग ऐसे हैं जो पढ़े लिखे हैं,अफसर हैं,नेता,मंत्री,संतरी,जज,
और व्यापारी हैं, किंतु रिश्वत और कदाचार से पूरे सिस्टम को ही निगल चुके हैं,जो महामक्कार हैं, मुफ्तखोर हैं,भ्रष्ट हैं,बेईमान हैं,बैंकों से कर्ज लेकर विदेशों में भागने वाले हैंं और हवाला कारोबारी हैं। वे सब इस मुल्क को अंदर से खोखला कर रहे हैं! अतएव वतनपरस्त नागरिकों को थोड़ा सा राष्ट्रवादी और सेक्युलर होना जरूरी है!
जय हिंद.. लाल सलाम... श्रीराम तिवारी
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