सोमवार, 10 अप्रैल 2023

वंशानुगत आरक्षण की जरूरत नही,

 दो सौ साल तक भारतीय उपमहाद्वीप पर काबिज रहे अंग्रेजों ने,द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले शायद यह उम्मीद नहीं की थी कि उनके 'ब्रिटिश क्राउन' का सूर्यास्त शीघ्र अस्त होने वाला है !यदि उन्हें इसका जरा भी अंदाजा होता तो वे भारत समेत तमाम विश्व में 'फूट डालो राज करो' की दुर्नीति संभवतः नही अपनाते ? खैर द्वितीय विश्वयुद्ध में हुये महाविनाश और मित्र राष्ट्रों की विजय के उपरान्त, अंग्रेजों को भारी मन से भारत छोड़ना पड़ा।लाखों कुर्बानियों और राष्ट्र विभाजन की कीमत पर भारत आजाद हो गया।

खंडित भारत से जाते जाते अंग्रेज शासक वर्ग राजकाज चलाने के लिए,उनके द्वारा आविष्कृत सैकड़ों वर्षों का कानूनी पुलिंदा कांग्रेस के हाथ थमा गए!कांग्रेस और तत्कालीन वायसराय लार्ड माउन्टवेटन की देखरेख में संविधान सभा की बैठकों का सिलसिला तेज हुआ! संविधान सभा ने दरसल उसी ब्रिटिश कानून के ऐतिहासिक पुलिंदे को संशोधित कर यथासंभव संपादन कर जनता को लोकार्पित किया!आज उसे दुनिया भारतीय संविधान के नाम से जानती है!
यह पूरा सच नही है कि संविधान किसी एक व्यक्ति ने लिखा है! यह यथार्थ के धरातल पर संभव भी नही है! भारतीय संविधान तो अंग्रेजों द्वारा 12वीं सदी में स्थापित मैग्नाकार्टा से लेकर २६ जनवरी १९५० तक जन अनुमोदित कानूनी धाराओं का संकलन है। डा.राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा ने उसमें जातीय आरक्षण और धर्म- मजहब के नियम- उपनियम अनुच्छेदों को जोड़कर,भारतीय संविधान का निर्माण किया !जिसका कुशल संपादन डॉ बाबा साहिब भीमराव आंबेडकर ने किया !
यह सुविदित है कि प्रारंभ में इस संविधान में जातीय आरक्षण की व्यवस्था सिर्फ १० वर्ष के लिए ही थी !लेकिन अब यदि ७६ साल बाद भी अधिकांश दलित और आदिवासी गरीब हैं,दमित हैं,शोषित हैं तो इसका सीधा मतलब है कि इन तथाकथित अच्छे दिनों में आर्थिक आरक्षण से कुछ मुठ्ठी भर लोगों का ही भला हुआ है!अतएव समग्र दलित-शोषित -पिछड़ी जाति के गरीबों के साथ साथ सवर्ण निर्धनों को भी आइंदा जातीय आरक्षण दिया जाना चाहिए!
भारत को लंबे अर्से तक वंशानुगत आरक्षण की जरूरत नही, बल्कि अत्यंत गरीब मजूरों,निर्धन किसानों और अल्प जीवन प्रत्याशा वाले दलित, आदिवासियों को आरक्षण जारी रखना चाहिए!लेकिन यह स्थाई समाधान नही है!अवसरों की समानता के स्थाई समाधान के लिए व्यवस्था परिवर्तन ही अंतिम विकल्प है! अतएव भारत के गरीब सर्वहारा वर्ग को संगठित होकर क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए जद्दोजहद करनी चाहिए !

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