80 साल पहले चीन +तिब्बत एक बौद्ध बहुल राष्ट्र था! अब,77 साल से कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है!इसी तरह दस साल पहले तक नैपाल एक हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था! किंतु आलोच्य वर्षों में वह कम्युनिस्ट शासित राष्ट्र है! इससे यह सिद्ध होता है कि किसी बौद्ध (पूर्ववर्ती चीन)या हिन्दू राष्ट्र (पूर्ववर्ती नैपाल)में कम्युनिस्ट क्रांति संभव है !
लेकिन भारत जैसे 'लोकतांत्रिक धर्मनिर्पेक्ष पूंजीवादी कल्याणकारी* शासन व्यवस्था वाले राष्ट्र में कोई क्रांति संभव नहीं है!क्योंकि इस तरह की शासन प्रणाली में मुल्क की आवाम (सर्वहारा वर्ग सहित) को समय समय पर अपनी समस्त आकांक्षाओं को व्यक्त करने की आज़ादी है ! यहाँ आम चुनाव में एक बुर्जुआ पार्टी को हटाकर दूसरी पार्टी को चुनने का हक है,जो कि किसी कम्युनिस्ट शासन वाले राष्ट्रों में संभव नहीं है! इसके अलावा भारत का मध्यम वर्ग (एलीट क्लास) राजनीतिक ताकत के बल पर अपने हितों की पूर्ति कराने में सक्षम है,जबकि सर्वहारा वर्ग जाग्रत नही है! वह पूंजीवादी सरकारों से नाराज होने के बावजूद चुनाव के दरम्यान जाति,धरम,या एक बोतल दारू और 500 का नोट मिलने पर पूंजीवादी दलों के समक्ष ढेर हो जाता है!
इन दिनों भारत का अधिकांश सर्वहारा वर्ग असंगठित होने और मुफ्त का राशन मिलने से मोदी मोदी जप रहा है! चूंकि पूंजीवादी प्रणाली विचार प्रकटीकरण पर हर किस्म की स्वतंत्रता मुहैया कराती है! इसके अलावा भारत जैसे हिंदू बहुल राष्ट्र के हिंदुओं को अतीत में बाहरी बर्बर हमलावरों से जो धोखे मिले, ठोकरें खानी पड़ी हैं,उसके मुकाबले में मौजूदा पूंजीवादी शोषण कुछ भी नहीं है! अतएव भारत को जब तक एक हिंदू राष्ट्र घोषित नही किया जाता, तब तक यहां का हिंदू बहुल समाज किसी क्रांति को स्वीकार नही करेगा!
हिंदू राष्ट्र घोषित होने के मात्र 10 साल बाद भारत का प्रगतिशील हिंदू बहुल समाज स्वयं साम्यवादी क्रांति की मांग करने लग जाएगा ! तदुपरांत भारतकी देश भक्त जनता लोकतान्त्रिक तरीके से साम्यवादी दल को देश की सत्ता सौंप देगी!
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