माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में प्रेस की पूर्ण स्वतंत्रता की व्याख्या की है।तदनुसार मीडिया या प्रेस को सच कहने से कोई नही रोक सकता! केंद्र सरकार भी नहीं!
इस दौर में केंद्र की मोदी सरकार और सभी राज्य सरकारें, गरीबों मजदूरों /एससी एसटी और अशक्त नर नारियों को भरपल्ले से मदद कर रही है, अब यह बंचित जनों की जिम्मेदारी है कि यदि उन्हें कुछ मिल नही रहा है तो वे प्रेस और मीडिया के सामने अपनी बात रखें! उनकी बात सुनी जाएगी! यदि किसी कारण वश सुनवाई नहीं हो सकी तो आगे और विकल्प खुले हैं!
गोकि यह सभी जानते हैं कि जब तक बच्चा रोता नही,तब तक माँ दूध नही पिलाती! यदि कोई वास्तव में अपने अधिकार से बंचित है,यदि कोई किसी सरकारी योजना से बंचित है और गाँधीवादी तरीके से उसका निराकरण नही हुआ तो उसे किसी क्रान्तिकारी संगठन के झंडे तले अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए,इस तरह के संघर्ष से न्याय जरूर मिलेगा। क्योंकि संगठित होकर लड़ोगे तो अवश्य जीतोगे ! इंकलाब जिंदाबाद!
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