गुरुवार, 20 अप्रैल 2023

'भोजा भगत

 गुजरात में एक कबीर परम्परा के कवि हुए हैं 'भोजा भगत' इन्होंने अपने काव्य को 'चाबुक' कहा है! सच में वे चाबुक ही है। काठियावाड़ी में कहा जाता है "भोजा भगत ना चाबखा"!

#भोजा भगत जाति से लेवा पाटीदार थे। वे गुजराती के प्रसिद्ध संत जलाराम बापा और संत #वालमराम के गुरु थे। #जलाराम बापा के गुजरात ही नहीं अमेरिका में भी मंदिर हैं।
महात्मा गाँधी जी को भी भोजा भगत का एक गीत बहुत प्रिय था - 'काचबा काचबी बे जळ मां रहेता!'(कछुआ - कछुई दो जल में रहते!) इसी गीत के आधार पर मैं भोजा भगत को ढू…
See more
May be an image of 1 person
All reactions:
You and 7 others
2
Love
Love
Comment
Share

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें