कोई तो क़िस्त बाकी है जो अदा नहीं है!
फिज़ा में साँसे बाक़ी हैं,किंतु हवा नहीं है!!
नसीहतें,सलाहें,हिदायतें ये दुनिया भर की,
डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन है लेकिन दवा नहीं !
जिम्मैदार हम ही हैं इस बदहाली ज॒ज के लिए,
अब तक तो खैरियत है आगे का भी पता नहीं!
करते रहे कुदरत से छेड़छाड़ नादां हम सभी,
और कौन कौन गुनहगार हैं, इसका पता नहीं!
:-आहत इंदौरी (श्रीराम तिवारी)
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