शनिवार, 17 दिसंबर 2022

हिन्दु जन्मजात सहिष्णु और धर्मनिरपेक्ष हैं।

 वर्तमान दौर के सत्ताधारी स्वनामधन्य हिन्दुवादी नेताओं से निवेदन है कि अतीत के आततायी आक्राांताओंं की बर्बर हरकतोें का बखान करने के बजाय खुद अपनी बेहतरीन परम्पराओं का अनुशीलन करें।

वेे हिन्दू समाज की जातीयतावादि छुआछूत की बीमारी से लड़ें। हो सके तो दकियानूसी -अवैज्ञानिक निकृष्ट अवधारणाओं से मुक्ति के लिए प्रयास करें। वेशक मुझे हिन्दू शाश्त्रों और परम्पराओं का बहुत कम ज्ञान है। किन्तु फिर भी में दावे से कह सकता हूँ कि हरेेक नेक दिल हिन्दू कभी भी दूसरों का अहित नहीं सोच सकता।
सात्विक और शीलवान आस्तिक हिन्दुओं को मालूम है कि वे जन्मजात सहिष्णु और धर्मनिरपेक्ष हैं। जिन्हे इस सिद्धांत पर विश्वास न हो उनके लिए महामति चाणक्य द्वारा रचित "कौटल्य का अर्थशास्त्र 'का एक सूक्ति श्लोक प्रस्तुत है :-
दक्षता भद्रता दाढर्य क्षान्तिः क्लेशसहिष्णुता।
संतोष ;शीलमुत्साहो मण्डयत्य नुजीवनम ।।
अर्थ :- चतुराई ,सभ्यता ,दृढ़ता ,क्षमाशीलता ,सहिष्णुता ,संतोष ,शील ,और उत्साह ,बेहतर लोगों के सद्गुण हैं। ऐंसे लोग ही समाज को दीर्घायु बनाते हैं।
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