बुधवार, 21 दिसंबर 2022

यह जरूरी तो नहीं!!

 सभी साम्प्रदायिक गटर में कूंद पड़े यह जरूरी तो नहीं !

केवल शरीफ ही शराफत दिखायेंगे यह जरुरी तो नहीं !!

कितने अंगुलिमाल हो चुके हैं बुद्धम शरणम गच्छामि,
किंतु उन पर यकीन किया जाए यह जरूरी तो नहीं !
चोर उचक्के हत्यारे पत्थरबाज भी करते हैं हज यात्रा,
किंतु सभी को जन्नत मिल जाए यह जरूरी तो नहीं !!
धूर्त पाखण्डी अंधश्रद्धा से पीड़ित भी जाते हैं तीरथ,
लेकिन सभी को मुक्ति मिल ही जाये जरूरी तो नहीं !
बेशक गंगा यमुना कृष्णा कावेरी गोदावरी तो पवित्र हैं,
किंतु इनमें स्नान से पाप धुल जाएंगे यह जरुरी तो नहीं!!
स्वर्णाभूषण नारी देह सौंदर्य के पुरातन अलंकरण हैं,
किंतु हर पीली धातु सोना ही होगी, यह जरूरी तो नहीं !
बेशक अतीत के बर्बर हमलावरों का इतिहास रक्तरंजित है
उनकी सभी नस्लें रक्तपिपासु होंगी यह जरूरी तो नहीं!!
कितने ही जतन कर लो कि सभी मनुष्यों में बराबरी हो ,
कुदरत का बनाया भेद मिट जाएगा यह जरूरी तो नहीं!
यदि दुनियामें सभी राम कृष्ण गौतम बुद्ध ईसा बन जाएँ ,
किंतु साम्प्रदायिक गटर में नही कूंदेगें यह जरूरी तो नहीं!!
शापित हैं जो मासूमों निर्दोषों का रक्त बहाने के लिए,
उन्हें अपनी खता पर पछतावा हो यह जरूरी तो नहीं।
बहुत हैं दुनिया में कवि -लेखक -चिंतक -ग्यानी-ध्यानी ,
लेकिन वे सभी जन मेरी तरह सोचें यह जरुरी तो नहीं!!
श्रीराम तिवारी

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