वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
चाय का मजा रहे,
प्लेट पकौड़ी से सजा रहे
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
मां की लताड़ हो
या बाप की दहाड़ हो
तुम निडर डटो वहीं,
रजाई से उठो नहीं
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
मुंह भले गरजते रहे,
डंडे भी बरसते रहे
बीवी जो भड़क उठे,
चप्पल भी खड़क उठे
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
प्रातः हो कि रात हो,
संग कोई न साथ हो
रजाई में घुसे रहो,
तुम वहीं डटे रहो
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
एक रजाई लिए हुए
एक प्रण किए हुए
अपने आराम के लिए,
सिर्फ आराम के लिए
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो
कमरा ठंड से भरा,
बर्फ से ढकी धरा
यत्न कर निकाल लो,
ये समय तुम निकाल लो
ठंड है यह ठंड है,
यह बड़ी प्रचंड है
हवा भी चल रही,
धूप को डरा रही
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो!
देश जाए भाड़ में,
आतंक की बाढ़ में ,
चीन से खरीदकर
घर अपना भरते रहो
सेना हमारे देश की,
दुश्मनों सेेे लड़ती रहे
तुम हर विजय का,
प्रूफ मांगते रहो!
वीर तुम अड़े रहो!
रजाई में पड़े रहो!!
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