शनिवार, 17 दिसंबर 2022

ऐंसे जिन्दा थे कि....

 फूल थे, रंग थे ,लम्हों की सबाहत हम थे ,

ऐंसे जिन्दा थे कि जीने की अलामत हम थे ,
अब तो खुद अपनी जरूरत भी नहीं है हमको ,
वो दिन भी थे कि कभी उनकी जरूरत हम थे।

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