जो कभी मठ्ठा भी न थे वे अब खीर हो गए!
भ्रष्ट नेता बाबू अफसर मुल्क की नजीर हो गए!!
सरमायेदारों की जिन -जिन पर कृपादृष्टि रही,
पूँजीवादी पुरोगामी नीतियों का ही नतीजा है ,
गरीब ज्यादा गरीब अमीर ज्यादा अमीर हो गए!!
शिक्षा -संचार क्रान्ति का लाभ क्रीमी लेयर ले उड़े,
अत : हम पहले से ज्यादा लकीर के फ़कीर हो गए!
शायद देवी देवता भी डरते होंगे इन रिश्वतखोरों से,
इसलिये मिलावटिये धंधेबाज नामी वजीर हो गए!!
भगवान खुदा गाड भी हैंरान होगा कि कैसे मेरे वंदे
मिलावटी फटे दूध से श्री खंड और पनीर हो गए।
सितमगरों के आगे गिड़गिड़ाना मंजूर नहीं जिनको,
वे हर दौर में शहादत के बरक्स बेनजीर हो गए !!
— श्रीराम तिवारी
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