आचार्य सर प्रफुल्ल चंद्र रॉय, CIE, FNI, FRASB, FIAS, FCS प्रसिद्ध रसायनविद, शिक्षक-प्रोफेसर, वैज्ञानिक,इतिहासकार, दानदाता और न जाने क्या क्या!
सत्येन्द्रनाथ बोस, मेघनाद साहा,ज्ञानेंद्र नाथ मुखर्जी,ज्ञानचंद्र घोष जैसे महान विज्ञानविदों के सम्माननीय गुरु,आचार्य।
उन्होंने भारतीय रसायनशास्त्र के इतिहास पर 1902 में,
'A History of Hindu Chemistry from the Earliest Times to the Middle of Sixteenth Century'
नामक प्रसिद्ध ग्रंथ लिखा!जिसमें भारतीय रसायन और विज्ञान के उत्थान और पतन को पहली बार लिपिबद्ध किया गया था।
यह बात बहुतेरे लोगों को पता नही कि जिस दवा को लेकर आज दुनिया भर बहस चल रही है, उस 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' का भारत में आविष्कार आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रॉय ने ही अपनी संस्था बंगाल केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स के रसायनगार में किया था।
उल्लेखनीय है कि इस महान राष्ट्रीयकृत संस्था को आज निजीकरण के रास्ते धकेला जा रहा है।
हमने उनके आविष्कार को आसानी से स्वीकार कर लिया है, लेकिन उनकी विचारधारा को आसानी से नहीं पचा सक रहे है, यह एक बार फिर साबित हो गया है। मुझे उनके बारे में एक उद्धरण मिला है जो नीचे दिया जा रहा है, अगर आप पढ़ेंगे तो आप समझ जाएंगे।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रॉय ने एक बार कहा था, "मैंने कक्षा में इतना कुछ पढ़ाया। मैंने छात्रों को सिखाया कि पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है तब चंद्रग्रहण होता है। उन्होंने इसे पढ़ा, लिखा, परीक्षा में नंबर हासिल किए, अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए। लेकिन मजेदार बात यह है कि जब वास्तव में चंद्रमा पर ग्रहण की छाया पड़ी तो यही छात्र "चंद्रमा को राहु ने निगल लिया" कहते हुए ढोल, ताशे, घण्टे, घड़ियाल और शंख बजाते हुए सड़क पर आ गए।
हाय!! यह एक आश्चर्यजनक भारतवर्ष है।"
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