अपढ़ मल्लाह अपनी नाव में आक्सफोर्ड के एक प्रोफेसर,एक दार्शनिक और एक वैज्ञानिक को नदी पार करा रहा था! तीनों विद्वान आपस में बड़े ज्ञान की ऊंची ऊंची बातें कर रहे थे!उनकी बातों में मल्लाह के प्रति उपेक्षा का भाव था! उन तीनों विद्वानों ने अपढ़ मल्लाह से कुछ सामान्य ज्ञान के सवाल किये! जिनका उत्तर वह नही दे सका! वे तीनों विद्वान,नाविक की अज्ञानता पर हंसकर बोले -तुम्हारा जीवन बेकार गया!
इसी बीच मझधार में एक बड़ी सी लहर आई और नाव उलटने को हुई! मल्लाह ने उन तीनों विद्वानों से पूछा- तैरना आता है?
तीनों ने एक साथ कहा-नही! मल्लाह ने डूबती नाव से पानी में छलाँग लगाते हुए कहा कि तुम तीनों का जीवन बेकार गया!
************************************888तीनों ने एक साथ कहा-नही! मल्लाह ने डूबती नाव से पानी में छलाँग लगाते हुए कहा कि तुम तीनों का जीवन बेकार गया!
अबे अब्दुल! गली के नुक्कड़ पे हंगामा हो रिया है बे
अब्दुल:- क्या हुआ चच्चा,
चच्चा :- अबे , भारत अपनी कमर पे हाथ धरे चीन और नेपाल के सामने खड़ा है, चीन अपनी गर्दन पर मूव लगाते हुऐ गाली पे गाली बके जारिया है, नेपाल अपना कच्छा पकड़े फुदक रिया है, खिड़की से झाँकते पाकिस्तान को लग रिया है भारत पिटेगा, भूटान कह रिया है भारत दोनों को लठियायेगा, बंग्लादेश और लंका कंफ्यूज है अमा ये हो क्या रिया है, अमरीका अपने दुमंजिले की छत पे खड़ा रायफल की नाल सफा कर रिया, चबूतरे पे मूढा डाले बैठा रूस भी देख तो ईधर ही रिया पर अभी हुक्का पी रिया, उधर नीम के पेड़ के नीचे जापान ताईवान, हाँगकाँग, आस्ट्रेलिया, बिट्रेन सारे पड़ोसी दारू पीये तमंचे लिए खड़े हैं,
.....अबे क्या होगा तुझे क्या लग रिया है।
अब्दुल:- जो भी हो चच्चा, भैंसों की लड़ाई में घास जरूर उखड़ती है,
देख लेना बाद में पिटेगा पाकिस्तान ही।
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ENT डॉक्टर ने एक गाँव में क्लीनिक खोला।
उसी गाँव के RMP डॉक्टर अपने गाँव के मरीजों को समझा रहे थे ताकि उनका महत्व कम न हो:-
वो बोले :
“हमारे गाँव में एक नए डॉक्टर आ रहे हैं। हम तो समझदार थे जोकि 2 साल में ही पढ़ के आ गए ।
मगर ये जो नए डाक्टर आए हैं इन्हें सरकार ने 5 साल पढ़ाया। नहीं पढ़ पाए तो सरकार ने फिर 3 साल और पढ़ाया। फिर भी जब नहीं पढ़ पाए तो सरकार ने कहा "तुम खाली नाक-कान-गला तक ही पढ़ लो।"
एक बार एक दरोगा हप्पूसिंह का मुंह लगा नाई पूछ बैठा -
"हुजूर पुलिस वाले रस्सी का साँप कैसे बना देते हैं ?"
दरोगा जी बात को टाल गए।
लेकिन नाई ने जब दो-तीन
बार यही सवाल पूछा तो दरोगा जी ने मन ही मन तय किया कि इस भूतनी वाले को बताना ही पड़ेगा कि रस्सी का साँप कैसे बनाते हैं !
लेकिन प्रत्यक्ष में नाई से बोले - "अगली बार आऊंगा तब
बताऊंगा !"
इधर दरोगा जी के जाने के दो घंटे बाद ही 4 सिपाही नाई
की दुकान पर छापा मारने आ धमके - "मुखबिर से पक्की खबर मिली है, तू हथियार सप्लाई करता है। तलाशी लेनी है दूकान की !"
तलाशी शुरू हुई ...
एक सिपाही ने नजर बचाकर हड़प्पा की खुदाई से निकला जंग लगा हुआ असलहा छुपा दिया !
दूकान का सामान उलटने-पलटने के बाद एक सिपाही चिल्लाया - "ये रहा रिवाल्वर"
छापामारी अभियान की सफलता देख के नाई के होश उड़ गए - "अरे साहब मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता ।
आपके बड़े साहब भी मुझे अच्छी तरह पहचानते हैं !"
एक सिपाही हड़काते हुए बोला - "दरोगा जी का नाम लेकर बचना चाहता है ? साले सब कुछ बता दे कि तेरे गैंग में कौन-कौन है ... तेरा सरदार कौन है ... तूने कहाँ-कहाँ हथियार सप्लाई किये ... कितनी जगह लूट-पाट की ...
तू अभी थाने चल !"
थाने में दरोगा साहेब को देखते ही नाई पैरों में गिर पड़ा - "साहब बचा लो ... मैंने कुछ नहीं किया !"
दरोगा ने नाई की तरफ देखा और फिर सिपाहियों से पूछा - "क्या हुआ ?"
सिपाही ने वही जंग लगा असलहा दरोगा के सामने पेश कर दिया - "सर जी मुखबिर से पता चला था .. इसका गैंग है और हथियार सप्लाई करता है.. इसकी दूकान से ही ये रिवाल्वर मिली है !"
दरोगा सिपाही से - "तुम जाओ मैं पूछ-ताछ करता हूँ !"
सिपाही के जाते ही दरोगा हमदर्दी से बोले - "ये क्या किया तूने ?"
नाई घिघियाया - "सरकार मुझे बचा लो ... !"
दरोगा गंभीरता से बोला - "देख ये जो सिपाही हैं न ...साले एक नंबर के कमीने हैं ...मैंने अगर तुझे छोड़ दिया तो ये साले मेरी शिकायत ऊपर अफसर से कर देंगे ...
इन कमीनो के मुंह में हड्डी डालनी ही पड़ेगी ...
मैं तुझे अपनी गारंटी पर दो घंटे का समय देता हूँ , जाकर किसी तरह बीस हजार का इंतजाम कर ..
पांच - पांच हजार चारों सिपाहियों को दे दूंगा तो साले मान जायेंगे !"
नाई रोता हुआ बोला - "हुजूर मैं गरीब आदमी बीस हजार कहाँ से लाऊंगा ?"
दरोगा डांटते हुए बोला - "तू मेरा अपना है इसलिए इतना सब कर रहा हूँ तेरी जगह कोई और होता तो तू अब तक जेल पहुँच गया होता ...जल्दी कर वरना बाद में मैं कोई मदद नहीं कर पाऊंगा !"
नाई रोता - कलपता घर गया ... अम्मा के कुछ चांदी के जेवर थे ...चौक में एक ज्वैलर्स के यहाँ सारे जेवर बेचकर किसी तरह बीस हजार लेकर थाने में पहुंचा और सहमते हुए बीस हजार रुपये दरोगा जी को थमा दिए !
दरोजा जी ने रुपयों को संभालते हुए पूछा - "कहाँ से लाया ये रुपया?"
नाई ने ज्वैलर्स के यहाँ जेवर बेचने की बात बतायी तो दरोगा जी ने सिपाही से कहा - "जीप निकाल और नाई को हथकड़ी लगा के जीप में बैठा ले .. दबिश पे चलना है !"
पुलिस की जीप चौक में उसी ज्वैलर्स के यहाँ रुकी !
दरोगा और दो सिपाही ज्वैलर्स की दूकान के अन्दर पहुंचे ...
दरोगा ने पहुँचते ही ज्वैलर्स को रुआब में ले लिया - "चोरी का माल खरीदने का धंधा कब से कर रहे हो ?"
ज्वैलर्स सिटपिटाया - "नहीं दरोगा जी आपको किसी ने गलत जानकारी दी है!"
दरोगा ने डपटते हुए कहा - "चुप ~~~ बाहर देख जीप में
हथकड़ी लगाए शातिर चोर बैठा है ... कई साल से पुलिस को इसकी तलाश थी ... इसने तेरे यहाँ जेवर बेचा है कि नहीं ? तू तो जेल जाएगा ही .. साथ ही दूकान का सारा माल भी जब्त होगा !"
ज्वैलर्स ने जैसे ही बाहर पुलिस जीप में हथकड़ी पहले नाई को देखा तो उसके होश उड़ गए,
तुरंत हाथ जोड़ लिए - "दरोगा जी जरा मेरी बात सुन लीजिये!
कोने में ले जाकर मामला एक लाख में सेटल हुआ !
दरोगा ने एक लाख की गड्डी जेब में डाली और नाई ने जो गहने बेचे थे वो हासिल किये फिर ज्वैलर्स को वार्निंग दी - "तुम शरीफ आदमी हो और तुम्हारे खिलाफ पहला मामला था इसलिए छोड़ रहा हूँ ... आगे कोई शिकायत न मिले !"
इतना कहकर दरोगा जी और सिपाही जीप पर बैठ के
रवाना हो गए !
थाने में दरोगा जी मुस्कुराते हुए पूछ रहे थे - "साले तेरे को समझ में आया रस्सी का सांप कैसे बनाते हैं !"
नाई सिर नवाते हुए बोला - "हाँ माई-बाप समझ गया !"
दरोगा हँसते हुए बोला - "भूतनी के ले संभाल अपनी अम्मा के गहने और एक हजार रुपया और जाते-जाते याद कर ले ...
हम रस्सी का सांप ही नहीं बल्कि नेवला .. अजगर ... मगरमच्छ सब बनाते हैं .. बस असामी बढ़िया होना चाहिए"।
.....ये है हमारे देश का कटु सत्य.
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एक गरीब आदमी प्रतिदिन कागज़ में लिखता। हे..प्रभु, मुझे ₹50000/- भेज दो। औऱ गुब्बारे में लिखकर उडा देता। वो गुब्बारा, पुलिस थाने के ऊपर से गुजरता और पुलिस कर्मी उस गुब्बारे को पकड़ कर वो पर्ची पढते और उस आदमी के भोलेपन पर हंसते। एक दिन पुलिस कर्मियों ने सोचा कि क्यों ना उस गरीब आदमी की मदद की जाए और सारे पुलिस कर्मियों ने मिलकर ₹ 25000/- जमा किये तथा उस व्यक्ति को, उसके घर जाकर दे आये ।
दूसरे दिन, पुलिस कर्मियों ने जब गुब्बारा रोक कर पर्ची पढ़ी तो होश उड़ गए उसमें लिखा था...!
प्रभु.. आपके द्वारा भेजे गए पैसे तो मिल गए। लेकिन आपको पुलिस वालो के हाथ नहीं भेजने चाहिए थे। साले ₹25000/- खा गए। *
"काजल की कोठरी में कैसो ही सयानों जाये, एक रेखा काजल की लाग है पै लाग है
वे आतंकवाद और भ्रष्टाचार नही रोक सके! चींन और पाकिस्तान जैसे पडोसियों से देश की सीमाओं की रक्षा नहीं कर सके!कोरोना महामारी से मरने वालों को नही बचा सके!
सरकारी स्कूलों और अस्पतालों का उद्धार नही कर सके!
मोदी सरकार सिर्फ दो मोर्चों पर सफल रही है! एक अंबानी अडानी और गुजराती सेठों को खरबपति बनाने और उनसे पार्टी को प्राप्त धन से कांग्रेस के विधायक खरीदकर अपनी हारी हुई पार्टी की सरकारें बनाने में सफल रही है!
दूसरे-पड़ोसी देशों पर कूटनीतिक बढ़त हासिल करने में बिफल और संबंध ख़राब करने में सफल रही है! वे अपने ही देश के लोकतांत्रिक विपक्ष को खत्म करने में सफल होते जा रहे हैं!
आम जनता और बिखरे विपक्ष ने इस संदर्भ में अभी तक कोई कारगर कदम नही उठाया है!इसलिये देशके बुद्धिजीवियों और असली शुभचिंतकों को जागरुक रहकर जनता का मार्गदर्शन करना चाहिए! चुनौती गंभीर !
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एक गधा पेड़ से बंधा था।शैतान आया और उसे खोल गया।
गधा मस्त होकर खेतों की ओर भाग निकला और खड़ी फसल को खराब करने लगा।
किसान की पत्नी ने यह देखा तो गुस्से में गधे को मार डाला।
गधे की लाश देखकर मालिक को बहुत गुस्सा आया और उसने किसान की पत्नी को गोली मार दी।
किसान पत्नी की मौत से इतना गुस्से में आ गया कि उसने गधे के मालिक को गोली मार दी।
गधे के मालिक की पत्नी ने जब पति की मौत की खबर सुनी तो गुस्से में बेटों को किसान का घर जलाने का आदेश दिया।
बेटे शाम में गए और मां का आदेश खुशी-खुशी पूरी कर आए। उन्होंने मान लिया कि किसान भी घर के साथ जल गया होगा।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसान वापस आया और उसने गधे के मालिक की पत्नी और बेटों, तीनों की हत्या कर दी।
इसके बाद उसे पछतावा हुआ और उसने शैतान से पूछा कि यह सब नहीं होना चाहिए था। ऐसा क्यों हुआ?
शैतान ने कहा, 'मैंने कुछ नहीं किया। मैंने सिर्फ गधा खोला लेकिन तुम सबने रिऐक्ट किया, ओवर रिऐक्ट किया और अपने अंदर के शैतान को बाहर आने दिया। इसलिए अगली बार किसी का जवाब देने, प्रतिक्रिया देने, किसी से बदला लेने से पहले एक लम्हे के लिए रुकना और सोचना जरूर।'
ध्यान रखें। कई बार शैतान हमारे बीच सिर्फ गधा छोड़ता है और बाकी विनाश हम खुद कर देते हैं !!
और हाँ,आपको ये भी समझना है कि गधा कौन हैं ?
***************************************लघुकथा*
"बेटा रमेश !कहीं जा रहे हो क्या?"
" हां बोलिए! कोई काम था ?"
"मेरा चश्मा टूट गया है! बनवा देते! एक डंडी अगर बदल जाए तो ठीक है ,नहीं तो पूरा फ्रेम लेना पड़ेगा !"
"देखता हूं !डंडी ही बदल जाएगी मेरी पहचान की दूकान पर तो पांच दस में काम हो जाएगा ।फ्रेम तो दो तीन सौ का आएगा।" बेटे ने अर्थशास्त्र को प्रयोग में लाते हुए कहा।
"मुझे समझ नहीं आता कि तुम अपने बेटे के लिए शौकिया गॉगल खरीदने पर छह सौ खर्च कर सकते हो और मेरे चश्मे के फ्रेम की जगह डंडी से अगर चल जाए तो ,,,उस बारे में सोच रहे हो। ये क्या है?"
" ऐसा ही है पापा जी !हर आदमी, उधार चुकाने से ज्यादा ,नए प्रोजेक्ट में पूंजी लगाना पसंद करता है ! शायद संबंधों में भी ऐसा ही हो गया है ।"
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अभी तक जितना अध्ययन मैने किया है, तदनुसार वेद,उपनिषद,गीता,रामायण और महाभारत में तो 'हिंदू'शब्द नही है!बहुत संभव है कि भारतीय उप महाद्वीप के आर्य, अनार्य,द्रविड शैव,वैष्णव शाक्त, गाणपत्य, जैन और बौद्ध मतों के साझे निष्कर्ष को 'सनातन धर्म' कहा गया है! और विदेशी हमलावरों ने ही इस उपमहाद्वीप के जन्मना निवासियों को हिंदू कहा होगा!
जहां तक धर्म के रूप में 'हिंदू' शब्द की उत्पत्ति का सवाल है,भारतमें इस्लामके आगमन पर 'सिंधु'शब्द के फारसी उच्चारण से यह उत्पन्न हुआ है। यह सब जानते हुये भी 'संघ परिवार' हिंदूधर्म और हिंदुत्व के नाम पर सत्ता की राजनीति कर रहा है !
कुछ प्रगतिशील लोग भी जाने अनजाने धरमांधता पर चोट करने के बजाय हिंदू धर्म को निशाना बनाते रहते हैं और पत्थरबाज अापराधिक मानसिक के अल्पसंख्यक वर्ग की इकतरफा तरफदारी करते रहते हैं! इससे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को हिंदू कट्टरवाद का खाद पानी मिलता रहता है ! और उसकी आनुषंगिक राजनैतिक पार्टी भाजपा की खेती भी भरपल्ले से चल रही है!जिससे पूंजीपतियों की पौ बारह है और देश का सीमांत किसान और असंगठित मजदूर हासिये पर है!
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जैसे ही विक्रम ने वैताल को कांधे पर जबरन लादा,वैताल फिर बोला-हे विक्रम सुन!एक समय की बात है किसी गांवमें एक खुशहाल किसान परिवार रहता था! उस किसान की अर्धशिक्षित लड़की किसी अन्य समाज के लड़के के साथ भाग कर आर्य समाज मंदिर में शादी कर लेती है!समाज के ताने सुन सुनकर लड़की का बाप सदमें में होता है,माँ अन्न जल त्यागकर खुद की और भगेली लड़की की मौत की कामना करती है!समाज के तानों से आहत भगेली लड़की की मां लड़की की मौत याने 'ऑनर किलिंग' का संकल्प लेती है!माँ के परोक्ष आदेश पर उसका एकमात्र नाबालिग और कर्मठ बेटा,अपनी बहिन को खोजकर गोली मार देता है!
हे विक्रम,बता! उस लड़की की हत्या के लिये कौन कसूरवार है? मृत लड़की का लाड़ला दुलारा छोटा भाई,आदेश देने वाली माँ,ताने सुनाने वाला समाज या जाति वर्ण आधारित रूढ़ीवादी समाज व्यवस्था!
यदि तूने ने सही जबाब नही दिया तो तेरे सिर के 100 टुकड़े हो जायेंगे ..क्या विक्रम जबाब देगा? और जबाब देगा तो उसका सही जबाब क्या होगा?
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गधा पेड़ से बंधा था।
शैतान आया और उसे खोल गया।
गधा मस्त होकर खेतों की ओर भाग निकला और खड़ी फसल को खराब करने लगा।
किसान की पत्नी ने यह देखा तो गुस्से में गधे को मार डाला।
गधे की लाश देखकर मालिक को बहुत गुस्सा आया और उसने किसान की पत्नी को गोली मार दी।
किसान पत्नी की मौत से इतना गुस्से में आ गया कि उसने गधे के मालिक को गोली मार दी।
गधे के मालिक की पत्नी ने जब पति की मौत की खबर सुनी तो गुस्से में बेटों को किसान का घर जलाने का आदेश दिया।
बेटे शाम में गए और मां का आदेश खुशी-खुशी पूरी कर आए। उन्होंने मान लिया कि किसान भी घर के साथ जल गया होगा।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसान वापस आया और उसने गधे के मालिक की पत्नी और बेटों, तीनों की हत्या कर दी।
इसके बाद उसे पछतावा हुआ और उसने शैतान से पूछा कि यह सब नहीं होना चाहिए था। ऐसा क्यों हुआ?
शैतान ने कहा, 'मैंने कुछ नहीं किया। मैंने सिर्फ गधा खोला लेकिन तुम सबने रिऐक्ट किया, ओवर रिऐक्ट किया और अपने अंदर के शैतान को बाहर आने दिया। इसलिए अगली बार किसी का जवाब देने, प्रतिक्रिया देने, किसी से बदला लेने से पहले एक लम्हे के लिए रुकना और सोचना जरूर।'
ध्यान रखें। कई बार शैतान हमारे बीच सिर्फ गधा छोड़ता है और बाकी विनाश हम खुद कर देते हैं !!
ओर हां आपको ये भी समझना है कि गधा कौन हैं?
हर रोज टीवी चैनल गधे छोड़ जाते हैं ओर हम लड़ते रहते हैं।
मिल जुल कर मुस्कुरा कर खुशी से रहिये
याद रखे
तोड़ना आसान है जुड़े रहने बहुत मुश्किल हैं,
लड़ाना आसान है मिलाना बहुत मुश्किल हैं..
मिल जुल कर मुस्कुरा कर खुशी से रहिये
याद रखे
तोड़ना आसान है जुड़े रहने बहुत मुश्किल हैं,
लड़ाना आसान है मिलाना बहुत मुश्किल हैं..
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जब तक स्मार्ट फोन नही आया तब तक मुझे लिखने का बड़ा शौक था! किंतु 10-12 साल पहले,जबसे मुझे लेपटॉप मिला और ब्लॉग लिखने का शौक चर्राया,तबसे मैने कोई कविता संग्रह,निबंध संग्रह प्रकाशित नही कराया!
मेरा अनुभव रहा है कि पुस्तकीय लेखन के बजाय आभासी लेखन अथवा ऑन लाइन लेखन ज्यादा लोकप्रिय,सामयिक,प्नमाणिक और कारगर सिद्ध हुआ है! जिन्हें पढ़ने में रुचि है,वे बैस्ट सैलर अथवा विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तकें ही पसंद करते हैं! वे ऑन लाइन भी रहते हैं! किंतु जिन्हें पढ़ने की आदत नही है वे जब गीता पुराण और बाइबिल ही नहीं पढ़ते! तो किसी का प्रगतिशील साहित्य क्या खाक पढ़ेंगे?और जिनकी साहित्य, संगीत कला में दिलचस्पी नही होती,उन्हें आचार्य चाणक्य ने बिना पूछ का पशु कहा है!
स्मार्ट फोन या लेपटॉप के आगमन से हर चीज अलादीन के चिराग की तरह हर वक्त,हर जगह मौजूद है! इसलिए अब पुस्तक छपवाना या तो राजे रजवाड़ों जैसा ओल्ड फैशन रह गया है या धर्म अध्यात्म और साइंस की जरूरी पुस्तकों और पुरातन सांस्कृतिक साहित्यिक धरोहर को सुरक्षित रखने तक सीमित होता जा रहा है!
अब पुस्तकें लिखना उन्हें प्रकाशित कराना टेड़ी खीर हो चला है, इसलिये ब्लॉग लिखना सोशल मीडिया और यूट्यूब आदि पर ऑन लाइन रहना ज्यादा मुफीद है! वैसे भी गुरू गूगल ने संसार के किताबी पंडितों का काम हल्का कर दिया है!
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शादी की 25वीं सालगिरह पर पत्नी पुलकित होकर बोली:
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शादी की 25वीं सालगिरह पर पत्नी पुलकित होकर बोली:
"सुनो जी ! आप बिलकुल भी नहीं बदले। वैसे के वैसे ही भोले-भाले, वैसे ही शांत, एकदम पहले जैसे ही हैं।"
पति ठहरा मेरे जैसा हिंदी भाषी सरकारी स्कूल का अनुशासित पढ़ा-लिखा- अत: भावुक होकर बोला:-
"जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।।"
चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।।"
पत्नी थी English Medium Convent educated,सो वह तारीफ समझी और
खुश होकर चाय पकौडे़ बनाने चौके में चली गयी!
खुश होकर चाय पकौडे़ बनाने चौके में चली गयी!
भाषायी अनेकता में ही एकता का आनंद है!
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सूडान में एक बच्ची निर्जन स्थान में मरणासन्न स्थिति में थी,जिसे एक गिद्ध निरंतर टकटकी लगाये पास ही बैठा देख रहा था। इस दृश्य की तस्वीर एक ख्यात फोटोग्राफर द्वारा ली गयी थी,जिसे वर्ष 1993 में न्यूयार्क टाइम्स में छापा गया था!
इस फोटो पर फोटोग्राफर को पुलित्जर अवार्ड मिला था! चार माह बाद उस फोटोग्राफर के पास एक फोन आया,जिसने फोटोग्राफर से पूछा कि उस लड़की का बाद में क्या हुआ?
फोटोग्राफर ने कहा मुझे नहीं मालूम! मैं तो फोटो लेकर वापिस आ गया था!
"फोन करने वाले ने कहा कि इसका मतलब है उस समय वहां एक नहीं दो गिद्ध थे ।"
फोटोग्राफर पानीदार था,आहत होकर आत्महत्या कर ली!क्योंकि फोटोग्राफर समझ गया था कि उसका पहला कर्तव्य यह था कि वह उस लड़की को बचाता,उसकी सहायता करता,किंतु वह विफल रहा! उस लड़की के कष्ट का चित्रण कर वह इनाम पा गया,जबकि वह लड़की की मौत का केवल दर्शक बना रहा!
कोरोना संकट जनित लॉकडाऊन में मजदूरों के पलायन में भी यही हो रहा है,टीवी चैनल वाले वीडियो बना रहे हैं,सभी राजनीतिक दल सरकार की आलोचना कर रहे हैं!बाकी आम जन भी अपनी-अपनी ढपली अपनी अपनी बीन बजा रहे हैं!किंतु मजदूरों की सहायता करने वाले बहुत कम हैं!हमारे यहाँ तो इतनी संवेदनशीलता भी नहीं कि कम से जले पर नमक तो न छिड़कें!अपना दायित्व या जिम्मेदारी स्वीकार करने का माद्दा बहुत कम लोगों में ही मिलता है!
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डॉक्टर :- क्या तकलीफ है आपको ??.
रमेश :- डॉक्टर साहब,
रोज रात को सोते हुए
मुझे यह डर लगता है
कि मेरे पलंग के नीचे कोई
छुपा हुआ है.....
रोज रात को सोते हुए
मुझे यह डर लगता है
कि मेरे पलंग के नीचे कोई
छुपा हुआ है.....
इस वजह से मुझे नींद नहीं
आती है।
आती है।
डॉक्टर :- इसके लिए
आपको 6 महीने तक
लगातार,
हर हफ्ते आना पड़ेगा ।
आपको 6 महीने तक
लगातार,
हर हफ्ते आना पड़ेगा ।
रमेश :- आपकी एक बार की कितनी फीस होगी डॉक्टर साहब ??
डॉक्टर :- तीन हजार.
6 महीने बाद रास्ते में डॉक्टर को
रमेश दिखता है...
रमेश दिखता है...
डॉक्टर :- क्या हुआ रमेश,
तुम तो वापस इलाज के लिए आए ही नहीं ?
तुम तो वापस इलाज के लिए आए ही नहीं ?
रमेश :- डाक्टर साहब,
मेरे एक मित्र ने मेरा इलाज कर दिया और
मेरे लाखों रुपए
बच गये..
मेरे एक मित्र ने मेरा इलाज कर दिया और
मेरे लाखों रुपए
बच गये..
डॉक्टर :- क्या बात है,
ऐसा आपके दोस्त ने
क्या इलाज किया...
ऐसा आपके दोस्त ने
क्या इलाज किया...
रमेश :- कुछ नहीं,
उसने कहा कि...
उसने कहा कि...
*पलंग बेच दे और गद्दा जमीन पर बिछा कर सोया कर...!!*
*Morel of story is*.
डॉक्टर के पास जाने के पहले, अपने मित्रों से चर्चा कर लिया करें,,
कारण ...??
*जहां मित्र होते हैं, वहां आपको कुछ ना कुछ रास्ता जरूर मिलता है ।*
कारण ...??
*जहां मित्र होते हैं, वहां आपको कुछ ना कुछ रास्ता जरूर मिलता है ।*
हमेशा मित्रों को सम्मान दें।
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कोरोना संकटकाल में दुनिया भर के सभी धर्मगुरूओं ने सकारात्मक सोच रखने,घर में रुकने,निराश न होने जैसी-अच्छी बातें कहीं! लेकिन किसी ने यह नही बताया कि जिसका काम छिन गया हो,जिसके घर ही न हो और जो 'इधर जाओ कुआँ,उधर जाओ खाई' के बीच कहीं संकटग्रस्त हो वह इन तमाम उपदेशों और शिक्षाओं का पालन कैसे करे?
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कोरोना संकटकाल में दुनिया भर के सभी धर्मगुरूओं ने सकारात्मक सोच रखने,घर में रुकने,निराश न होने जैसी-अच्छी बातें कहीं! लेकिन किसी ने यह नही बताया कि जिसका काम छिन गया हो,जिसके घर ही न हो और जो 'इधर जाओ कुआँ,उधर जाओ खाई' के बीच कहीं संकटग्रस्त हो वह इन तमाम उपदेशों और शिक्षाओं का पालन कैसे करे?
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जिसदिन मल्लापुरम में एक हथिनी तड़प तड़प कर मर रही थी,उसी दिन हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में एक पड़ोसी ने दूसरे से बदला लेने के लिये उसकी 'गौ माता' को बिस्फोटक खिलाकर मार डाला!
हत्यारे 'नंदलाल' ने गाय के मालिक गुरदयाल से बदला लेने के लिये उसकी गाय के चारे में बिस्फोटक खिलाकर मार डाला! चूंकि हिमाचल प्रदेश में भाजपा शासन है, अत: गाय की हत्या 'वेदिकी हिंसा,हिंसा न भवति'!
चूंकि केरल में एक सफलतम गैर भाजपाई याने वामपंथी सरकार है और बाईचांस राहुल गांधी केरल से सांसद हैं, अतएव कई मूर्खों ने हथिनी की हत्या पर घनघोर विधवा विलाप किया!
किंतु वे गौ माता की हत्या पर मौन हैं!
मैं इसे कमीनापन, लुच्चापन और महा हरामीपन मानता हूँ!
मैं इसे कमीनापन, लुच्चापन और महा हरामीपन मानता हूँ!
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