मैंने अन्य बाबाओं और स्वामियों की तरह मोरारी बापू को कभी महत्व नही दिया! किंतु जब मोरारी बापू के 'सर्व धर्म समभाव' वाले एट्टीट्यूड पर कुछ कमीनों ने हमला किया तो मैने तत्काल मान लिया कि मोरारी बापू ही असली संत है! वे सनातन धर्म के जीवंत रूप हैं,विश्वबन्धुत्व की भावना से ओतप्रोत हैं!यही तो सनातन धर्म का सार तत्व है।
मोरारी बापू का कंठ कब रामकथा कहते कहते कुरान की आयतें गाने लगता है या बाइबिल के वर्सेज गाने लगता है, खुद उन्हें भी पता नही चलता। प्रेम से भरे हृदय की यही पहचान है। प्रेम का भी कोई धर्म होता है भला ? प्रेम तो सर्वब्यापी है, सर्वत्र है। बुद्ध हों या महावीर,लाओत्से हो या मोहम्मद, येसु हो या नानक,मीरा हों या मंसूर, ये सब प्रेम की ही अभिव्यक्तियाँ हैं।
आज जो लोग मोरारी बापू की निंदा कर रहे हैं और उनके लिए भला बुरा कह रहे हैं वे लोग निंदनीय हैं,श्रीराम का चरित्र इतना क्षुद्र नही है जितना कट्टर सनातनी उसे बना रहे हैं। मोरारी बापू उन श्रीराम की कथा कह रहे हैं जो घट-घट वासी हैं, सर्वब्यापी है, प्रेम सिंधु हैं। सनातन धर्म मेंसंत निंदा नामापराध है। इस अपराध से बचना चाहिए सबको।
धर्मनिरपेक्षता को सम्मान देकर मोरारी बापू ने सिद्ध कर दिया कि वे असली रामभक्त हैं, असली राष्ट्रवादी हैं और असली संत हैं !
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