"सच्चाई और न्याय के रास्ते पर भीड़ नहीं होती !"
वेशक, सचऔर ईमानदारी के रास्तेपर चलने के अनेक फायदे हैं। जैसे कि बार-बार झूंठ नहीं बोलना पड़ता। सदैव सशंकित भी नहीं रहना पड़ता।भाववादी होकर भी सत्पथ पर अग्रसर मानव को-किसी व्यक्ति,संगठन,धर्म- मजहब और ईश्वर जैसी पराशक्ति की दासता का भय नहीं रहता। देवता तो क्या शैतान की भी हैसियत नहीं कि ऐंसे सत्यानुरागी का बाल -बाँका कर सके । इस रास्ते पर चलने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इस रास्ते पर ज्यादा भीड़ भी नहीं होती। जो मूर्ख असत्य आचरण में लिप्त हैं,उन्हें यह पथ डरावना और कंटकाकीर्ण नजर आता है,किन्तु न्याय -समानता -मानवता और सच्चाई से लेस सत्यनिष्ठ का पथ अति सुगम,मनोरम और खुशनुमा हरी-भरी वादियों से गुजरते हुए तथाकथित 'स्वर्गारोहण'जैसा दिखता है। जिसे यकीन न हो आजमा कर देख ले!जब तक भावजगत की यह उटोपियाई यात्रा पूरी नही हो जाती तबतक 'द्वंदात्मक भौतिकवाद' की ओर अग्रसर होना असंभव है!
श्रीराम तिवारी
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