मंगलवार, 20 अगस्त 2019

जिंदगी खुद मुस्कराएगी!

हरएक स्याह रात के बाद ,नई सुबह जरूर आयेगी!
तलाश है ज़िसकी तुुझे वो-मौसमे बहार फिर आएगी।।
निहित स्वार्थ से ऊपर उठकर थोड़ा सा व्यापक सोच,
ख्वाहिसों के पार छितिज में जिंदगी खुद मुस्कराएगी।
समष्टि चेतना को देगा नाम,जब तूं रूहानी इबादत का ,
संवेदनाओं की बगिया,खुद ब खुद खिल खिलाएगी।
जिंदगी की तान सुरीली हो,कदम ताल सधे हों तेरे,
जीवन व्योममें बजउठेंगे वाद्यवृन्द नईभोर गुन गनायेगी!
-श्रीराम तिवारी

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