गांव के गरीबों का चूल्हा नहीं सुलगा,
घन गहर-गहर बरसात गहरावै है !
जलाऊ लकड़ी,एलपीजी गैस नहीं,
बाढ़ में बचाव दल पहुँच न पावै है!!
गरीबी में गीला आटा,सब्जियां महँगी,
गुजारे लायक मजूरी मजूर नहि पावै है!
बाढ़ में बुहर गए टूटे-फूटे ठीकरे -चींथड़े,
बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों पै मौत मँडरावै है!!
नगरीय अभिजात्य कोठियों की कामिनी,
गार्डन के झूले पै मेघ मल्हार गावै है।
सत्ताधारी नेताओं के लंबे -चौड़े वादे.
भ्रस्टों की कृपा से नया पुल बह जावै है!!
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