भारत जन की नीति बन गई ,शोषण को सहते रहना ।
नये दौर के महाठगों का चाल चरित्र का क्या कहना?
सार्वजनिक सम्पत्ति खा गये , निजी क्षेत्र के छुट्टा सांड ।
जुमलेबाजी बेरोजगारी और महंगाई का क्या कहना ?
नोटबंदी और जीएसटी से ,बंद हो रहे लाखों उद्योग!
भांड विदूषक नेताओं, बगुला भगतों का क्या कहना ?
नये दौर के महाठगों का चाल चरित्र का क्या कहना?
सार्वजनिक सम्पत्ति खा गये , निजी क्षेत्र के छुट्टा सांड ।
जुमलेबाजी बेरोजगारी और महंगाई का क्या कहना ?
नोटबंदी और जीएसटी से ,बंद हो रहे लाखों उद्योग!
भांड विदूषक नेताओं, बगुला भगतों का क्या कहना ?
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