मंगलवार, 8 जनवरी 2019

अभी अचूक निशाने बहुत से हैं।

अपने बल पौरुष को जांचने के,
आधुनिक संसाधन बहुत से हैं।
तूफ़ान में दिए जलाये रखने के
अधुनातन ठिये बहुत से हैं।।
भृष्टाचार को उखाड़ फेंकने के,
अभी अचूक निशाने बहुत से हैं।
सदियाँ गुजरीं जिनको संवारने में,
मूल्योंको बचाने के साधन बहुतसेहैं।
अनीति करने वाले बहुत कम हैं जहांमें,
उनसे निपटने के संसाधन बहुत से हैं!
भय भूँख के प्राक्रतिक कारण अल्प हैं,
उनसे निपटने के अनुसंधान बहुत से हैं।
मेंहगी है रूप नाक नक़्शे की शल्यक्रिया,
विकृत मानसिकता के निदान बहुत से हैं।

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