शुक्रवार, 4 जनवरी 2019

मौसमे बहार आती तो है

हरएक स्याह रात के बाद,
एक नयी सुबह आती तो है ।
तलाश है ज़िसकी तुम्हें हर वक्त,
वो मौसमे बहार आती तो है ।।
कामनाओं से परे उठ यत्किंचित,
जिंदगी बेपनाह जगमगाती तो है।
समष्टि चेतना को दे दो कोई नाम,
बिल्कुल रूहानी इबादत जैसा!
हो तान सुरीली स्वागत समष्टि का,
व्यवहार जिंदगी का सूरज जैसा!!
तब मानवीय संवेदनाओं की बगिया,
महकती है और कोयल गाती तो है ।
यदि व्योम में बजें वाद्यवृन्द पावस के,
तो भोर हर मौसम खिलखिलातीतो है !
हर एक स्याह रात के बाद,
एक नयी सुबह आती तो है !
Shriram Tiwari

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