व्यापम -श्यापम बोल रहा है , सिस्टम कितना हुआ नराधम ?
रिश्वतखोरी - सीनाजोरी , मंत्री अफसर लूटम- पाटम !!
दम्भ जिन्हे था देशभक्ति का , वे निकले नैतिकता घातम्।
चाल -चरित्र -चेहरे पर उनके ,व्हिसिलब्लोवर मारी लातम।।
गटर गंग के मगरमच्छ कुछ , दिखा रहे आँसू सन्तापम् ।
किये-धरे की लाज शरम ना , अधम स्वार्थी विकट पिशाचम।।
अच्छे दिन यदि देश के आये ,फिर क्यों मना रहा है मातम ?
कितनी जाने लील गया है , फर्जीबाड़ा व्यापक व्यापम ? ?
फँसे हजारों- मरे पचासों, जिम्मेदार है कौन नराधम ?
रिश्वत लेने देने वाले , नर हत्यारे जन गण घातम।।
कुटिल कलंकी व्यभिचारिणी , पूँजीवादी माया व्यापम।
लिए -दिए बिन काम चले न ,फोकट काम बिगाड़ू हाकिम ।।
मुन्ना भाई बने डाक्टर , यमदूतों की फौज चमाचम ।
आरक्षण ने बाट लगाई ,प्रतिभा क्षमता सत्यनाशम्।।
श्रीराम तिवारी
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