ताजा खबर है कि कुख्यात व्यापम फर्जीवाड़े की जांच के लिए सीबीआई के आला अफसर दिल्ली से मध्यप्रदेश की सरजमीं पर अपने पैर रखते ,उससे पहले ही केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इस व्यापम फर्जीवाड़े को न्यूट्रलाइज करने और जनता में अपनी घटती साख को बचाने की अंतिम कार्यवाही की जा रही है। एमपी के प्रत्येक संभागीय मुख्यालय पर केंद्र सरकार के प्रकाश जावड़ेकर जैसे तेज तर्रार मंत्रियों को आपात्कालिक प्रवक्ता बनाकर अपने पक्ष में मीडिया ट्रायल लिया जा रहा है। व्यापम फर्जीवाड़े के लिए जिम्मेदार शिवराज सरकार को बचाने के लिए 'संघ' भी मैदान में आ गया है। शिवराज के त्याग पत्र की मांग को लेकर कांग्रेस ,वाम मोर्चा और जन संगठनों ने सोलह जुलाई को मध्यप्रदेश बंद का आह्वान किया है। विपक्ष के इस लोकतान्त्रिक आंदोलन को कुचलने और असफल करने के लिए ,सरकार समर्थकों -व्यापम काण्ड के दोषियों ने आंदोलन के खिलाफ न्यायालय में याचिकाएं भी दाखिल की हैं । सरकार और आपराधिक तत्वों की मिली भगत से केंद्र सरकार के मंसूबों पर कुछ भी कुछ लोगों को अब शंका -कुशंका होने लगी है। लोगों को लगने लगा है कि - सी बी आई जांच तो इस भृष्ट शिवराज सरकार को बचाने का एक बहाना मात्र है।
अब तो सभी को लगने लगा है कि शिवराज सरकार और भाजपा की धूमिल हो रही छवि को बचाने के लिए ही इस सीबीआई को ढाल बनाया गया है। इसीलिए पूरा कुनवा एकजुट कार्यवाही में व्यस्त हो गया है। मोहनराव भगवत ने भी संगठन स्तर पर अपनी अंतिम योजना पर काम शुरू कर दिया है। अंतिम इस अर्थ में कि इस बार 'सिंह भले ही चला जाए पर 'गढ़ 'नहीं जाना चाहिए '.इससे पहले कि सीबीआई वाले मध्यप्रदेश के इंदौर , भोपाल ,ग्वालियर ,जबलपुर और भिंड -मुरैना में जाकर बेसिक जानकारी हासिल करते ,उससे पहले ही केंद्र सरकार के सात-सात महारथियों ने इस सीबीआई रुपी अभिमन्यु को घेरने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।इशारे किये जा रहे हैं कि सीबीआई तो अपनी है जी ,उससे डरना नहीं है जी ! और सच उसे कभी बताना नहीं है जी !
लोक सभा अध्यक्ष और अधिकांस वरिष्ठ भाजपा नेता अभी तो शिवराज को 'अक्षत' देखना चाहते हैं। अब तो ' संघ ' के ही कुछ बौद्धिक भी कहने लगे हैं कि ऐंसी विषम स्थिति में कांग्रेस ने दर्जनों बार अपने मंत्रियों /मुख्यमंत्रिओं को सत्ताच्युत किया है। किन्तु लगता है कि मोदी जी और अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं का अपना ही स्वाभिमान ,जन भावना या लोक लाज से कोई लेना-देना नहीं है। कल्पना कीजिये कि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार है,और मध्यप्रदेश में भी कोई कांग्रेसी मुख्यमंत्री इस तरह के फर्जीवाड़े में फंसकर पार्टी को बदनाम कर रहा है ,तो कांग्रेस का हाई कमान उसे फौरन 'बाइज्जत' गुमनामी के अंधरे में फेंक देता। किन्तु भाजपा -जिसका चाल चेहरा चरित्र जुदा है ,जो पार्टी विथ डिफ़रेंस 'है ,उसे तो लगता है की सत्ता रुपी जोंक ने जकड़ रखा है।
मध्यप्रदेश में इन दिनों व्यापम फर्जीवाड़े के खिलाफ चिन्हित गवाहों और व्हिसिलब्लोअर को ही नहीं बल्कि सत्तारूढ़ नेताओं और अफसरों को भी अपने प्राणों की चिंता सत्ता रही है। शनेः -शनेः जिस तरह कुख्यात बलात्कारी आसाराम के खिलाफ सारे सबूत और गवाह खत्म कर दिए गए,जिस तरह व्यापम से संबंधित आधा सैकड़ा लोग मारे गए उससे सभी को लगता है कि व्यापम से संबंधित कोई भी सुरक्षित नहीं है।
सभी जानते हैं कि वर्तमान महाभृष्ट निजाम और अधोगामी व्यवस्था के सौजन्य से उन सबका असमय कलवलित होना तो तय ही था । लेकिन यह व्यापम महामारी तो मध्यप्रदेश ,छग यूपी ,बिहार, राजस्थान ,महाराष्ट्र, कर्नाटक ,बंगाल और गुजरात तक फैली हुई है। फिर सीबीआई कब तक कहाँ-कहाँ भटकती रहेगी। सीबीआई की सूचनाओं का आधार भी तो यही भृस्ट अफसरशाही और बदनाम मशीनरी ही है न ! व्यापम काण्ड तो इस व्यवस्था रुपी हांडी का एक चावल का दान मात्र है। मोदी सरकार हो या शिवराज सरकार ,यूपी की महाभृस्ट अखिलेश सरकार सभी के राज में यह केवल संयोग नहीं है कि देश भर के अंधश्रद्धा केन्द्रों -पैसा बटोरू मजहबी संस्थानों, विश्वविद्यालयों ,मंत्रालयों ,सरकारी विभागों ,अकादमिक - संस्थानों तथा चिकित्सा क्षेत्रों में जगह - जगह विभिन्न रूपों में भयानक 'व्यापम' ही व्याप्त है। इनमें जिनकी जहाँ जितनी पैठ है उन महाठगों -महाधुर्तों के ही अच्छे दिन आये हैं। योग्यता वाले को हर किस्म के विकास व शिक्षा ,सेवा क्षेत्र में कहीं कोई सम्मान या अवसर नहीं हैं। आरक्षण वालों को , मुन्ना भाइयों -मुन्नी बहिनों को और अनैतिक रिश्तों के रुतवे - रूप सौंदर्य वालों को , पैसे धइले और वोट कबाड़ू क्षमता वालों को,जातीय - साम्प्रदायिक आधार पर जनता को आकर्षित करने वालों को -उनकी उपादेयता के आधार पर इस व्यवस्था में सब कुछ उपलब्ध है । यहाँ तक की नकली डिग्री वाले या 'वालियों' को मंत्री पद भी उपलब्ध है। जनता को केवल सीबीआई का झुनझुना मुबारक या बाबाजी का ठुल्लु। शायद अच्छे दिनों का दृश्य यही है !
श्रीराम तिवारी
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