[१] मामागिरी के फेर में ,पस्त हुए सरकार।
मध्यप्रदेश का कर चले ,जमकर बंटाढार।।
[२] झूँठ-कपट छल -छंद के ,चूके तीर कमान।
व्यापम गच्चा दे गया ,चूक गए चौहान।।
[३] सत्ता मद का सदा ही ,होता सूरज अस्त।
पाप की हाँडी फोड़ने ,नियति रही अभ्यस्त।।
[४] भृष्टाचार के ताप की , रंग लाएगी आँच।
अभी तो ये शुरुआत है ,सीबीआई जाँच।।
[५] कर-कर वादे खोखले ,नेता ठोकें पीठ।
भारत के इतिहास में ,हुए न ऐंसे ढीठ।।
श्रीराम तिवारी
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